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रीवा में महिला ने खुद को आग लगाई, मौत: जमीन विवाद और प्रशासनिक लापरवाही पर परिजनों का आरोप
Rewa, MP
चोरहटा थाना क्षेत्र के जोन्हि गांव में उमा त्रिपाठी ने न्याय न मिलने से परेशान होकर आत्मदाह किया; शव 6 घंटे तक नहीं उठाया गया, पटवारी और RI पर मिलीभगत के आरोप लगे।
रीवा जिले के चोरहटा थाना क्षेत्र के जोन्हि गांव में शुक्रवार देर रात एक महिला ने जमीनी विवाद में न्याय न मिलने से परेशान होकर खुद को आग लगा ली, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई। मृतका की पहचान उमा त्रिपाठी के रूप में हुई। घटना के बाद ग्रामीणों ने पुलिस का घेराव कर शव को लगभग 6 घंटे तक नहीं उठाने दिया, जिससे पूरे इलाके में तनाव फैल गया।
परिजनों ने आरोप लगाया कि मृतका के जमीन विवाद के मामले में पटवारी और RI की लापरवाही रही। उनके अनुसार, राजस्व अधिकारियों ने कार्रवाई करने के बजाय उल्टा पीड़ित परिवार पर दबाव बनाया। बेटे ने बताया कि उनकी मां लंबे समय से न्याय के इंतजार में मानसिक रूप से आहत थीं और लगातार परेशान करने वाले व्यवहार के चलते उन्होंने यह दुखद कदम उठाया।
घटना का क्रम
उमा त्रिपाठी घर के बाहर अकेली थीं, जबकि उनका बेटा एक वैवाहिक कार्यक्रम में गया हुआ था। इसी दौरान उन्होंने पेट्रोल डालकर खुद पर आग लगा ली। कुछ ही मिनटों में महिला की मौत हो गई। घटना की खबर फैलते ही गांव में मातम और आक्रोश फैल गया। ग्रामीणों ने पुलिस का घेराव किया और शव को 6 घंटे तक पोस्टमॉर्टम के लिए नहीं उठाने दिया। अंततः पुलिस की समझाइश और ग्रामीणों के बीच बातचीत के बाद शव को पोस्टमॉर्टम भेजा गया। अस्पताल में भी परिजनों ने हंगामा किया।
जमीनी विवाद का इतिहास
परिवार के अनुसार, महिला की जमीन पर 2010 से उसके कुछ रिश्तेदारों का कब्जा था। परिवार ने कई बार शिकायतें दर्ज कराई, और 2011 में तत्कालीन कलेक्टर ने कब्जा हटाने के निर्देश दिए। लेकिन 14 साल बीत जाने के बाद भी स्थानीय अमले ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की, जिससे मामले में निराशा और बढ़ गई।
परिजनों के आरोप
बेटे ने कहा, “जिम्मेदार राजस्व अधिकारी, RI और पटवारी ने मामले को जानबूझकर लटकाया। कार्रवाई करने के बजाय उन्होंने हमारे परिवार पर दबाव बनाया। लगातार परेशान करने और न्याय न मिलने से मेरी मां मानसिक रूप से टूट गई थीं।”
घटना ने स्थानीय प्रशासन और पुलिस के रवैये पर सवाल खड़े कर दिए हैं। ग्रामीणों और परिवार का आरोप है कि यदि पहले उचित कार्रवाई होती, तो यह दुखद घटना टाली जा सकती थी।
आगे की कार्रवाई
घटना के बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। जिला प्रशासन और राजस्व विभाग से भी प्रतिक्रिया आने की उम्मीद है। विशेषज्ञों के अनुसार, ऐसे जमीनी विवादों में त्वरित और पारदर्शी कार्रवाई न होने से सामाजिक तनाव और मानसिक स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याएं बढ़ सकती हैं।
रीवा की यह घटना न केवल स्थानीय प्रशासन की जवाबदेही पर सवाल उठाती है, बल्कि यह ग्रामीण इलाकों में जमीन विवाद और न्यायिक देरी की गंभीर समस्या को भी उजागर करती है।
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