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भोपाल में IAS संतोष वर्मा के खिलाफ ब्राह्मण समाज का प्रदर्शन उग्र, सीएम हाउस की ओर बढ़ी भीड़
Bhopal, MP
रोशनपुरा से बाणगंगा चौराहे तक पहुंचा आंदोलन, धक्का-मुक्की में महिलाएं और बुजुर्ग घायल; गिरफ्तारी व बर्खास्तगी की मांग तेज
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में सोमवार सुबह आईएएस अधिकारी संतोष वर्मा के खिलाफ ब्राह्मण समाज का विरोध प्रदर्शन उग्र हो गया। प्रदर्शनकारी रोशनपुरा चौराहे पर एकत्र हुए और नारेबाजी करते हुए मुख्यमंत्री निवास की ओर मार्च करने लगे। पुलिस ने सुरक्षा कारणों से उन्हें आगे बढ़ने से रोकने का प्रयास किया, लेकिन प्रदर्शनकारियों ने बैरिकेडिंग तोड़ दी, जिससे हालात तनावपूर्ण हो गए।
प्रदर्शनकारी रोशनपुरा चौराहे से आगे बढ़ते हुए बाणगंगा चौराहे तक पहुंच गए। पुलिस द्वारा बार-बार समझाने के बावजूद भीड़ पीछे हटने को तैयार नहीं थी और मुख्यमंत्री निवास की ओर बढ़ने की कोशिश करती रही। स्थिति नियंत्रण से बाहर होती देख पुलिस को वॉटर कैनन का सहारा लेना पड़ा। कार्रवाई के दौरान कुछ समय के लिए पूरे क्षेत्र में अफरा-तफरी का माहौल बन गया।
धक्का-मुक्की और वॉटर कैनन के इस्तेमाल के दौरान कई बुजुर्ग और महिलाएं चोटिल हो गईं। मौके पर तैनात एम्बुलेंस और मेडिकल स्टाफ ने घायलों को प्राथमिक उपचार दिया। एहतियात के तौर पर अतिरिक्त पुलिस बल बुलाया गया और संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा व्यवस्था और कड़ी कर दी गई। प्रशासन ने किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए पूरे इलाके को छावनी में तब्दील कर दिया।
प्रदर्शनकारियों की मुख्य मांग आईएएस संतोष वर्मा की तत्काल गिरफ्तारी और सेवा से बर्खास्तगी की रही। उनका आरोप है कि ब्राह्मण समाज की बेटियों को लेकर की गई आपत्तिजनक टिप्पणी न केवल अस्वीकार्य है, बल्कि सामाजिक सौहार्द को भी नुकसान पहुंचाने वाली है। इसी मुद्दे को लेकर प्रदर्शनकारियों ने सरकार और प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की और ठोस कार्रवाई की मांग दोहराई।
उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार पहले ही संतोष कुमार वर्मा के खिलाफ केंद्र सरकार को बर्खास्तगी का प्रस्ताव भेज चुकी है। इसे समाज के कई वर्ग अपनी जीत मान रहे हैं, लेकिन आंदोलनकारी इससे संतुष्ट नहीं हैं। प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा भेजे गए प्रस्ताव में स्पष्ट नहीं किया गया है कि अधिकारी को पूर्ण रूप से सेवा से बर्खास्त किया जाना है या केवल पदोन्नति पर रोक लगाई जानी है।
विशेषज्ञों का मानना है कि प्रस्ताव में इस तरह की अस्पष्टता के चलते केंद्र सरकार इसे वापस कर सकती है या स्पष्टीकरण मांग सकती है। यही कारण है कि ब्राह्मण समाज के संगठन केवल प्रस्ताव तक सीमित कार्रवाई को नाकाफी मान रहे हैं और अंतिम निर्णय तक आंदोलन जारी रखने की बात कह रहे हैं।
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