संजय गांधी अस्पताल की गायनी ओटी में आग से हड़कंप, मरीज सुरक्षित निकाले गए

Rewa, MP

दोपहर में लगी आग से वार्ड खाली कराने पड़े, दमकल ने समय रहते पाया काबू; नगर निगम पहले ही दे चुका था चेतावनी

मध्यप्रदेश के रीवा स्थित संजय गांधी अस्पताल की गायनी ऑपरेशन थिएटर (OT) में रविवार दोपहर करीब एक बजे आग लगने से अस्पताल परिसर में हड़कंप मच गया। अचानक उठे धुएं और जलने की गंध से मरीजों, उनके परिजनों और अस्पताल स्टाफ में अफरा-तफरी की स्थिति बन गई। सूचना मिलते ही फायर ब्रिगेड की गाड़ियां मौके पर पहुंचीं और आग बुझाने का काम शुरू किया गया। समय रहते आग पर काबू पा लिया गया, जिससे किसी प्रकार की जनहानि नहीं हुई।

घटना के तुरंत बाद अस्पताल प्रबंधन ने एहतियातन गायनी ओटी के आसपास स्थित वार्डों को खाली कराया। वहां भर्ती मरीजों को अन्य सुरक्षित वार्डों में शिफ्ट किया गया। कुछ मरीजों को ऑक्सीजन और प्राथमिक चिकित्सा की आवश्यकता पड़ी, लेकिन स्थिति जल्द ही नियंत्रित कर ली गई। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, धुआं तेजी से फैल रहा था, जिससे कुछ देर के लिए पूरे ब्लॉक में दहशत का माहौल बन गया।

आग लगने के कारणों को लेकर फिलहाल स्थिति स्पष्ट नहीं है। प्रारंभिक स्तर पर शॉर्ट सर्किट या किसी तकनीकी खामी की आशंका जताई जा रही है। दमकल विभाग और अस्पताल प्रशासन की संयुक्त टीम ने मौके का निरीक्षण किया है। ओटी में मौजूद उपकरणों और विद्युत व्यवस्था की विस्तृत जांच की जा रही है, ताकि आग की वास्तविक वजह सामने आ सके।

इस घटना ने एक बार फिर अस्पतालों की फायर सेफ्टी व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जानकारी के अनुसार, रीवा के तीन प्रमुख सरकारी अस्पताल— संजय गांधी अस्पताल, सुपर स्पेशलिटी अस्पताल और गांधी स्मारक अस्पताल— फिलहाल फायर एनओसी (No Objection Certificate) के बिना संचालित हो रहे हैं। नगर निगम के निर्धारित अग्नि सुरक्षा मानकों को ये संस्थान अब तक पूरा नहीं कर पाए हैं।

नगर निगम आयुक्त सौरभ सोनवड़े ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि अस्पताल प्रबंधन को कई बार नोटिस जारी किए जा चुके हैं। उनका कहना है कि फायर सेफ्टी के जरूरी इंतजाम पूरे किए बिना एनओसी नहीं दी जा सकती। निगमायुक्त ने यह भी कहा है कि पूर्व में चेतावनी देने के बावजूद सुधार नहीं किए गए, ऐसे में आगजनी की किसी भी घटना की जिम्मेदारी नगर निगम की नहीं होगी।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों और प्रशासनिक जानकारों का मानना है कि अस्पतालों में फायर सेफ्टी से समझौता सीधे मरीजों की जान से जुड़ा मामला है। खासकर ऑपरेशन थिएटर जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में छोटी लापरवाही भी बड़े हादसे का कारण बन सकती है। घटना के बाद जिला प्रशासन ने सुरक्षा इंतजामों की समीक्षा और फायर ऑडिट कराने के संकेत दिए हैं।

 

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