11 सालों से बुरहानपुर में गोबर की होलिका दहन, सांसद-विधायक ने बनाए कंडे

Burhanpur, MP

बुरहानपुर में 11 सालों से गोबर की होलिका दहन की जा रही है. सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल और नेपानगर विधायक ने अपने हाथों से बनाए कंडे.

देशभर सहित बुरहानपुर में भी 13 मार्च को होलीका दहन होगा. दरअसल, होली का पर्व महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जो रंगों, प्यार और खुशी का प्रतीक है. मार्च माह की शुरुआत हो चुकी हैं, ऐसे में स्थानीय लोग होली की तैयारियों में जुट गए हैं. बता दें कि बुरहानपुर में कई दशकों से गायत्री परिवार कचरे की होली का दहन करता आ रहा है. इसी तरह शहर के स्वामी विवेकानंद समिति ने भी 11 साल पहले एक सकारात्मक पहल की शुरुआत की थी.

होलिका दहन में गोबर के उपले

समिति के सदस्य 11 साल से ईको फ्रेंडली होली मना रहे हैं. संस्था द्वारा हर साल होलिका दहन के लिए लकड़ियों के बजाए गोबर के कंडों से होली जलाई जाती है. इससे पहले बड़ी मात्रा में गाय का गोबर इकठ्ठा किया जाता है. फिर जनसहयोग से गोबर के कंडे तैयार किए जाते हैं. इस पहल में जनप्रतिनिधि भी अहम भूमिका निभाते हैं. वायु प्रदूषण नियंत्रण रखने के मकसद से संस्था द्वारा लकड़ी के स्थान पर गोबर की होली जलाई जाती है.

सांसद और विधायक ने बनाए कंडे

इस साल संस्था ने अपने गोबर के कंडे बनाने के लिए खंडवा बुरहानपुर लोकसभा सीट से सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल और नेपानगर विधायक मंजू राजेंद्र दादू को आमंत्रित किया था. सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल व विधायक मंजू राजेंद्र दादू ने अपने हाथों से गोबर के कंडे तैयार किए हैं. सांसद ने कहा, "अब यह जरूरी हो गया है कि हम लोग होलिका दहन के लिए ईको फ्रेंडली होली जलाएं. होली जलाने के लिए लकड़ी के बजाए इस तरह गोबर के कंडों का उपयोग करें. मैं सभी से यह अपील करूंगा कि होलिका दहन के लिए लकड़ी के स्थान पर गोबर के कंडों से होली जलाएं."

समिति अध्यक्ष ने लोगों से की अपील

स्वामी विवेकानंद समिति के अध्यक्ष अमोल भगत ने कहा, "11 साल पहले इस पहल की शुरुआत की थी. इन 12 सालों में काफी सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं. लोग प्रदूषण नियंत्रण के लिए आगे बढ़ रहे हैं, अब भी जागरूकता के लिए प्रयास जारी हैं. इस बार सोशल मीडिया के माध्यम से भी लोगों से ईको फ्रेंडली होली दहन की अपील की जा रही है. इससे अब लोग पिछली बार की तुलना में ज्यादा जागरूक हो रहे है और ईको फ्रेंडली होली मनाने का संकल्प लें रहे हैं. यही वजह है कि होलिका दहन पर लकड़ी के बजाए गोबर के कंडे जलाएंगे."

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