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गुना कुएं हादसा: बछड़े को बचाने उतरे छह में से पांच की मौत, पवन की खाट ने बचाई जान
Guna, MP
मध्यप्रदेश के गुना ज़िले के धरनावदा गांव में मंगलवार को एक दर्दनाक हादसा हो गया। खेत के कुएं में गिरे बछड़े को बचाने की कोशिश में छह ग्रामीण एक-एक कर कुएं में उतर गए, लेकिन जहरीली गैस के कारण उनमें से पांच लोगों की मौत हो गई। केवल पवन कुशवाह नामक युवक ही खाट के सहारे अपनी जान बचा सका, जिसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
"जो कुएं में गया, वापस नहीं आया" – जीवित बचे पवन की आपबीती
बचाए गए पवन ने बताया, "पहले मन्नू कुशवाह कुएं में उतरा, फिर सोनू और सिद्धार्थ भी नीचे गए लेकिन कोई वापस नहीं आया। हम चारों एक-दूसरे को पकड़े हुए थे। अचानक सबका हाथ छूट गया। ऊपर से खाट लटकाई गई, मैंने उसे पकड़ लिया और उसी पर लेटकर किसी तरह बच गया।"
रेस्क्यू में नाकाम रही एसडीआरएफ, ग्रामीणों ने संभाला मोर्चा
स्थानीय लोगों ने प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया है। ग्रामीणों का कहना है कि मौके पर पहुंची एसडीआरएफ और अन्य टीमें ऑक्सीजन सिलेंडर और जरूरी उपकरणों के अभाव में कुएं में नहीं उतरीं। अंततः गांववालों ने ही खाट और रस्सी के सहारे रेस्क्यू शुरू किया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
राघौगढ़ एसडीएम विकास आनंद ने पुष्टि की कि कुएं में जहरीली गैस की आशंका थी और रेस्क्यू टीम को उपकरणों की जरूरत थी, जो समय पर नहीं मिल पाए।
कुएं में दम तोड़ने वाले पांच ग्रामीणों की पहचान
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सिद्धार्थ सहरिया (25) – मजदूर, एक साल के बच्चे के पिता
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गुरुदयाल ओझा (40) – पांच बच्चों के पिता, इकलौते कमाने वाले
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शिवचरण साहू (40)
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सोनू कुशवाह (28)
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मन्नू कुशवाह (35)
पवन कुशवाह (35) जीवित बचा, उसका उपचार जारी है।
कैसे हुआ हादसा?
धरनावदा गांव के किसान अनिल भदौरिया के खेत में बना 70 फीट गहरा कुआं हादसे का केंद्र बना। मंगलवार सुबह आम तोड़ने आए लोगों ने देखा कि एक बछड़ा कुएं में गिर गया है। उसे बचाने के प्रयास में एक-एक कर छह लोग कुएं में उतरते गए, लेकिन जहरीली गैस के चलते सभी बेहोश होते गए।
खाट से निकाला गया पवन, बाकी नहीं बचे
रेस्क्यू ऑपरेशन में शामिल अंशुराज जैन ने बताया, “शुरुआत में रस्सी से लोगों को निकालने की कोशिश की गई लेकिन हर कोई अंदर जाते ही बेहोश होने लगा। तभी हमने खाट लटकाई, पवन ने उसे पकड़ लिया और खींच कर बाहर निकाला गया।”
परिवार में मातम और नाराजगी
गुरुदयाल की बहन ने बताया कि भाई बैंक से पैसे निकालकर लौट रहे थे, रास्ते में मदद के लिए रुक गए और अपनी जान गंवा दी। वे परिवार के एकमात्र कमाऊ सदस्य थे। शव का पोस्टमॉर्टम करने से परिजन पहले इनकार करते रहे। विधायक जयवर्धन सिंह के समझाने के बाद वे माने।
इसी तरह सिद्धार्थ सहरिया की भी मौत ने उसके एक साल के बेटे और नवविवाहिता पत्नी को गहरा सदमा दिया है।
प्रशासन के खिलाफ गुस्सा, कलेक्टर की गाड़ी को घेरा
हादसे से गुस्साए ग्रामीणों ने कलेक्टर के वाहन को घेर लिया और बचाव में देरी और लापरवाही को लेकर नाराजगी जताई। लोगों की मांग है कि इस प्रकार के गहरे कुओं को चिन्हित कर उनमें सुरक्षा व्यवस्था की जाए।
