मध्य प्रदेश में साइबर ठगी का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां खुद को मुख्यमंत्री कार्यालय का कर्मचारी बताने वाले ठगों ने एक डिप्टी कलेक्टर से करीब तीन लाख रुपये की ठगी कर ली। विभागीय जांच में राहत और सजा कम कराने का भरोसा देकर यह रकम किस्तों में ली गई। पीड़ित अधिकारी पहले से ही एक गंभीर शिकायत के चलते निलंबित चल रहे हैं। पुलिस ने मामले में ई-जीरो एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
यह मामला थाटीपुर थाना क्षेत्र का है। न्यू अशोक कॉलोनी निवासी अरविंद सिंह माहौर (41), जो मुरैना के सबलगढ़ में एसडीएम पद पर पदस्थ थे, ने पुलिस को बताया कि 19 सितंबर 2025 की रात उनके मोबाइल पर एक अनजान नंबर से कॉल आया। अनजान नंबर होने के कारण उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया। इसके बाद कॉल करने वाले ने कलेक्टर को फोन कर खुद को सीएम पोर्टल ऑफिस से बताते हुए कहा कि डिप्टी कलेक्टर उनका फोन नहीं उठा रहे हैं।
कलेक्टर के कहने पर कुछ देर बाद एक दूसरे नंबर से कॉल आया। ट्रूकॉलर पर यह नंबर “सीएम पोर्टल – अश्विनी” नाम से दिख रहा था। वरिष्ठ अधिकारी के संदर्भ में कॉल आने और नाम सरकारी लगने के कारण माहौर ने बातचीत शुरू की।
फोन करने वाले व्यक्ति ने खुद को मुख्यमंत्री कार्यालय से जुड़ा कर्मचारी बताया और कहा कि चल रही विभागीय जांच में सजा कम कराई जा सकती है, लेकिन इसके लिए ‘योगदान’ के तौर पर कुछ राशि जमा करनी होगी। इस झांसे में आकर डिप्टी कलेक्टर ने 19 सितंबर से 1 अक्टूबर के बीच अलग-अलग तारीखों में ऑनलाइन वॉलेट और बैंक खातों के माध्यम से कुल 2 लाख 95 हजार रुपये ट्रांसफर कर दिए।
इसके बाद भी आरोपी लगातार और पैसे की मांग करता रहा। बार-बार रकम मांगे जाने पर डिप्टी कलेक्टर को संदेह हुआ। उन्होंने खुद जानकारी जुटाई तो पता चला कि मुख्यमंत्री कार्यालय में अश्विनी नाम का कोई कर्मचारी कार्यरत ही नहीं है। जब उन्होंने आरोपी से पैसे वापस मांगे, तो कॉल और मैसेज बंद हो गए।
ठगी का अहसास होते ही अरविंद माहौर ने साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर शिकायत दर्ज कराई। इसके आधार पर ई-जीरो एफआईआर सीसीटीएनएस के माध्यम से थाटीपुर थाने पहुंची, जहां शनिवार को मामला दर्ज कर लिया गया। एएसपी अनु बेनीवाल ने बताया कि मध्य प्रदेश में ई-जीरो एफआईआर अभियान के तहत ऐसे मामलों में त्वरित कार्रवाई की जा रही है। शुरुआती जांच में साइबर फ्रॉड की पुष्टि हुई है।
इस मामले के साथ फरियादी अधिकारी का एक पुराना विवाद भी जुड़ा है। चार महीने पहले ग्वालियर की एक महिला ने उन पर बेटी को फोन कर परेशान करने, गाली-गलौज और धमकाने के आरोप लगाए थे। महिला ने जनसुनवाई में वीडियो साक्ष्य भी प्रस्तुत किए थे। वीडियो सामने आने के बाद शासन ने कार्रवाई करते हुए अरविंद माहौर को निलंबित कर दिया था। इस निलंबन की जानकारी मुख्यमंत्री ने खुद सोशल मीडिया पर साझा की थी। वर्तमान में वह चंबल संभागीय कार्यालय में अटैच हैं।
पुलिस ने अधिकारियों और आम नागरिकों से अपील की है कि किसी भी व्यक्ति द्वारा खुद को सरकारी कार्यालय या मुख्यमंत्री कार्यालय का कर्मचारी बताकर पैसे की मांग किए जाने पर सतर्क रहें और तुरंत संबंधित विभाग या साइबर हेल्पलाइन से पुष्टि करें।
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