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देश के 53वें CJI बने जस्टिस सूर्यकांत: 14 महीने का कार्यकाल, शपथ के बाद पूर्व CJI गवई से मिले; माता-पिता के पैर छुए
Jagran Desk
राष्ट्रपति भवन में हुआ शपथ ग्रहण समारोह; 7 देशों के मुख्य न्यायाधीश हुए शामिल, गांव पेटवाड़ और परिवार में खुशी की लहर
भारत ने सोमवार को अपना 53वां मुख्य न्यायाधीश (CJI) प्राप्त किया। राष्ट्रपति भवन में आयोजित औपचारिक समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जस्टिस सूर्यकांत को पद की शपथ दिलाई। इस अवसर पर सुप्रीम कोर्ट के जजों, वरिष्ठ वकीलों और अंतरराष्ट्रीय न्यायिक प्रतिनिधिमंडल की विशेष उपस्थिति देखने को मिली।
यह पहली बार है जब किसी CJI के शपथ समारोह में 7 देशों के मुख्य न्यायाधीश मौजूद रहे। ब्राजील, भूटान, केन्या, मलेशिया, मॉरीशस, नेपाल और श्रीलंका के शीर्ष न्यायाधीश अपने-अपने प्रतिनिधिमंडलों के साथ समारोह में शामिल हुए।
शपथ ग्रहण के बाद जस्टिस सूर्यकांत ने पूर्व CJI बी.आर. गवई से मुलाकात की और मंच पर उन्हें गले लगाया। उन्होंने इसके बाद पारंपरिक रूप से अपने माता-पिता के पैर छुए, जिसकी तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहे हैं।
CJI गवई का कार्यकाल समाप्त, अब 14 महीने की कमान सूर्यकांत के हाथ
पूर्व CJI बी.आर. गवई का कार्यकाल 23 नवंबर को समाप्त हुआ। उनके बाद शीर्ष पद संभालने वाले जस्टिस सूर्यकांत 9 फरवरी 2027 को सेवानिवृत्त होंगे। इस अवधि में उन्हें कई संवैधानिक और प्रशासनिक मामलों पर महत्वपूर्ण फैसले देने होंगे।
परिवार और गांव में खुशी—तीनों भाई भी पहुंचे दिल्ली
हिसार जिले के पेटवाड़ गांव में जन्मे जस्टिस सूर्यकांत का पूरा परिवार शपथ लेने के लिए दिल्ली पहुंचा। बड़े भाई मास्टर ऋषिकांत, डॉक्टर भाई शिवकांत और तीसरे भाई देवकांत सहित सभी सदस्य समारोह में मौजूद रहे।
परिवार के अनुसार, जस्टिस सूर्यकांत की पत्नी सविता सूर्यकांत, जो कॉलेज प्रिंसिपल के पद से सेवानिवृत्त हैं, और उनकी दो बेटियां मुग्धा व कनुप्रिया भी कार्यक्रम में शामिल रहीं।
गांव का गर्व—गौरव पट्ट में सबसे ऊपर नाम
पेटवाड़ गांव के गौरव पट्ट में सेना के शहीदों, स्वतंत्रता सेनानियों और प्रशासनिक पदों पर पहुंचे लोगों के नाम दर्ज हैं। सबसे ऊपर जस्टिस सूर्यकांत का नाम लिखा है। ग्रामीणों के अनुसार, यह पहला मौका है जब गांव के किसी व्यक्ति ने देश की सर्वोच्च न्यायिक कुर्सी हासिल की है।
आर्टिकल 370 से लेकर पेगासस तक—महत्वपूर्ण मामलों में रहे शामिल
अपने न्यायिक करियर में जस्टिस सूर्यकांत कई बड़े फैसलों का हिस्सा रहे—
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आर्टिकल 370 हटाने के फैसले को बरकरार रखने वाली बेंच में शामिल
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राजद्रोह कानून को स्थगित रखने और नई FIR पर रोक लगाने का आदेश
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डेरा सच्चा सौदा से जुड़ी 2017 की हिंसा के बाद सफाई के आदेश वाली बेंच का हिस्सा
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पेगासस स्पाइवेयर मामले की जांच के लिए विशेषज्ञ समिति का गठन
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बार एसोसिएशन में महिलाओं के लिए एक-तिहाई आरक्षण लागू करने का आदेश
इसके अलावा, बिहार की SIR वोटर लिस्ट मामले में भी उन्होंने चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता पर महत्वपूर्ण टिप्पणी की।
गांव से जुड़ाव आज भी बरकरार
परिवार के अनुसार, जस्टिस सूर्यकांत ने 10वीं तक गांव में पढ़ाई की। उनके पिता मदनमोहन शास्त्री संस्कृत शिक्षक थे। बड़े भाई बताते हैं कि सूर्यकांत पढ़ाई में हमेशा तेज थे और आज भी गांव के स्कूल टॉपर्स को सम्मानित करने हर साल आते हैं।
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