पुराने गीतों से चुराए जा रहे फिल्म टाइटल: बॉलीवुड में बढ़ा कॉपीकल्चर, दो साल में दर्जनों उदाहरण सामने आए

Bollywood

गानों की लोकप्रियता का लाभ उठाने के लिए मेकर्स नए दौर में टाइटल तक उठा रहे हैं; 2024–2025 में ट्रेंड तेजी से बढ़ा, कई फिल्मों के नाम चर्चित गीतों से सीधे लिए गए।

बॉलीवुड में रचनात्मकता को लेकर हमेशा से सवाल उठते रहे हैं, लेकिन पिछले दो वर्षों में जिस तरह पुरानी फिल्मों के लोकप्रिय गीतों से सीधे टाइटल उठाने का चलन बढ़ा है, उसने एक नई बहस छेड़ दी है। हिंदी सिनेमा में गानों के रीमिक्स और रीक्रिएशन की आलोचना पहले भी होती रही थी, अब फिल्मों और ओटीटी प्रोजेक्ट्स के नाम तक पुराने गीतों से प्रेरित—or कहें कि उठाए गए—दिखने लगे हैं।

क्या है नया चलन?

फिल्ममेकर अब लोकप्रिय गीतों के शीर्षकों या उनके मशहूर अंतरों की पंक्तियों को सीधे film title बना रहे हैं। वजह साफ है—ये शीर्षक पहले से ही दर्शकों की याद में बसे होते हैं और उनकी लोकप्रियता का फायदा फिल्मों को मिल सकता है।

हाल का उदाहरण: ‘तेरे इश्क में’

नवंबर 2025 के चौथे शुक्रवार को कार्तिक आर्यन और आनंद एल राय की फिल्म ‘तेरे इश्क में’ रिलीज हुई थी। इसका नाम धर्मेंद्र की पुरानी फिल्म के गाने “मैं तेरे इश्क में मर ना जाऊं कहीं” से लिया गया। यह सिर्फ एक उदाहरण नहीं, बल्कि ट्रेंड का ताज़ा सबूत है।


2024 में बढ़ा सिलसिला: कई फिल्में सीधे गानों से प्रेरित

साल 2024 में बॉलीवुड और ओटीटी पर ऐसी कई फिल्में आईं, जिनके नाम लोकप्रिय गीतों से उठाए गए:

  • तौबा तेरा जलवा – अमीषा पटेल की रोमांटिक-ड्रामा फिल्म, जिसका शीर्षक देव डी के गाने “तौबा तेरा जलवा” से लिया गया।

  • ऐ वतन मेरे वतन – सारा अली खान की फिल्म, जिसका नाम राज़ी फिल्म के देशभक्ति गीत का शीर्षक है।

  • जो तेरा है वो मेरा है – अमित स्याल और परेश रावल की ओटीटी फिल्म, जो एयरटेल के लोकप्रिय जिंगल से मेल खाती है।

इन उदाहरणों से स्पष्ट है कि मेकर्स केवल फिल्मों के गीत ही नहीं, बल्कि विज्ञापनों तक से टाइटल उठा रहे हैं।


2025 में भी जारी रहा ट्रेंड: 4–5 बड़े उदाहरण

साल 2025 में भी यह चलन थमा नहीं।

  • दे दे प्यार दे 2 – अजय देवगन की फिल्म, जिसका शीर्षक अमिताभ बच्चन की फिल्म शराबी के लोकप्रिय गीत से प्रेरित है।

  • आप जैसा कोई – फातिमा सना शेख और आर माधवन की ओटीटी फिल्म, जिसका नाम कुर्बानी के आइकॉनिक गीत से लिया गया।

  • वन टू चा चा चा – आशुतोष राणा की फिल्म, जिसका नाम शालीमार के गीत से प्रेरित है, जिसे उषा उत्थप ने गाया था।


क्यों बढ़ रहा है यह ट्रेंड?

फिल्म इंडस्ट्री हमेशा ट्रेंड आधारित काम करती है। विश्लेषण के अनुसार, इसके पीछे तीन प्रमुख कारण हैं:

  1. लोकप्रियता का फायदा: पुराने गाने पहले से दर्शकों की स्मृति में बसे होते हैं, जिससे फिल्म के प्रति जुड़ाव बढ़ता है।

  2. सिंपल और कैची नाम: लंबे और जटिल नामों की तुलना में गीतों के छोटे और असरदार शीर्षक अधिक पसंद किए जाते हैं।

  3. कम जोखिम वाला तरीका: मेकर्स मानते हैं कि पहले से प्रसिद्ध टाइटल ध्यान आकर्षित करने में आसान होते हैं।


क्या सफल हो रहा है टाइटल कॉपी का चलन?

बॉक्स ऑफिस आंकड़ों के अनुसार, पिछले दो साल में ऐसे शीर्षकों वाली फिल्मों का प्रदर्शन औसत या उससे कम रहा है। विशेषज्ञ मानते हैं कि फिल्म की सफलता का सीधा संबंध टाइटल से नहीं, बल्कि कहानी, निर्देशन और किरदारों से होता है।

टाइटल दर्शकों को पहली झलक जरूर देता है, लेकिन फिल्म की सफलता की गारंटी नहीं।

बॉलीवुड में रचनात्मकता को लेकर हमेशा से सवाल उठते रहे हैं, लेकिन पिछले दो वर्षों में जिस तरह पुरानी फिल्मों के लोकप्रिय गीतों से सीधे टाइटल उठाने का चलन बढ़ा है, उसने एक नई बहस छेड़ दी है। हिंदी सिनेमा में गानों के रीमिक्स और रीक्रिएशन की आलोचना पहले भी होती रही थी, अब फिल्मों और ओटीटी प्रोजेक्ट्स के नाम तक पुराने गीतों से प्रेरित—or कहें कि उठाए गए—दिखने लगे हैं।

क्या है नया चलन?

फिल्ममेकर अब लोकप्रिय गीतों के शीर्षकों या उनके मशहूर अंतरों की पंक्तियों को सीधे film title बना रहे हैं। वजह साफ है—ये शीर्षक पहले से ही दर्शकों की याद में बसे होते हैं और उनकी लोकप्रियता का फायदा फिल्मों को मिल सकता है।

हाल का उदाहरण: ‘तेरे इश्क में’

नवंबर 2025 के चौथे शुक्रवार को कार्तिक आर्यन और आनंद एल राय की फिल्म ‘तेरे इश्क में’ रिलीज हुई थी। इसका नाम धर्मेंद्र की पुरानी फिल्म के गाने “मैं तेरे इश्क में मर ना जाऊं कहीं” से लिया गया। यह सिर्फ एक उदाहरण नहीं, बल्कि ट्रेंड का ताज़ा सबूत है।


2024 में बढ़ा सिलसिला: कई फिल्में सीधे गानों से प्रेरित

साल 2024 में बॉलीवुड और ओटीटी पर ऐसी कई फिल्में आईं, जिनके नाम लोकप्रिय गीतों से उठाए गए:

  • तौबा तेरा जलवा – अमीषा पटेल की रोमांटिक-ड्रामा फिल्म, जिसका शीर्षक देव डी के गाने “तौबा तेरा जलवा” से लिया गया।

  • ऐ वतन मेरे वतन – सारा अली खान की फिल्म, जिसका नाम राज़ी फिल्म के देशभक्ति गीत का शीर्षक है।

  • जो तेरा है वो मेरा है – अमित स्याल और परेश रावल की ओटीटी फिल्म, जो एयरटेल के लोकप्रिय जिंगल से मेल खाती है।

इन उदाहरणों से स्पष्ट है कि मेकर्स केवल फिल्मों के गीत ही नहीं, बल्कि विज्ञापनों तक से टाइटल उठा रहे हैं।


2025 में भी जारी रहा ट्रेंड: 4–5 बड़े उदाहरण

साल 2025 में भी यह चलन थमा नहीं।

  • दे दे प्यार दे 2 – अजय देवगन की फिल्म, जिसका शीर्षक अमिताभ बच्चन की फिल्म शराबी के लोकप्रिय गीत से प्रेरित है।

  • आप जैसा कोई – फातिमा सना शेख और आर माधवन की ओटीटी फिल्म, जिसका नाम कुर्बानी के आइकॉनिक गीत से लिया गया।

  • वन टू चा चा चा – आशुतोष राणा की फिल्म, जिसका नाम शालीमार के गीत से प्रेरित है, जिसे उषा उत्थप ने गाया था।


क्यों बढ़ रहा है यह ट्रेंड?

फिल्म इंडस्ट्री हमेशा ट्रेंड आधारित काम करती है। विश्लेषण के अनुसार, इसके पीछे तीन प्रमुख कारण हैं:

  1. लोकप्रियता का फायदा: पुराने गाने पहले से दर्शकों की स्मृति में बसे होते हैं, जिससे फिल्म के प्रति जुड़ाव बढ़ता है।

  2. सिंपल और कैची नाम: लंबे और जटिल नामों की तुलना में गीतों के छोटे और असरदार शीर्षक अधिक पसंद किए जाते हैं।

  3. कम जोखिम वाला तरीका: मेकर्स मानते हैं कि पहले से प्रसिद्ध टाइटल ध्यान आकर्षित करने में आसान होते हैं।


क्या सफल हो रहा है टाइटल कॉपी का चलन?

बॉक्स ऑफिस आंकड़ों के अनुसार, पिछले दो साल में ऐसे शीर्षकों वाली फिल्मों का प्रदर्शन औसत या उससे कम रहा है। विशेषज्ञ मानते हैं कि फिल्म की सफलता का सीधा संबंध टाइटल से नहीं, बल्कि कहानी, निर्देशन और किरदारों से होता है।

टाइटल दर्शकों को पहली झलक जरूर देता है, लेकिन फिल्म की सफलता की गारंटी नहीं।

 

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