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एमपी देश का पहला राज्य बना जहां मनरेगा की मज़दूरी अब महिलाओं के खाते में जाएगी: ‘मां का बगिया’ योजना के तहत सीधे ट्रांसफर होंगे भुगतान
Digital Desk
महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता को मजबूत करने की दिशा में मध्यप्रदेश सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। अब मनरेगा की मजदूरी पुरुष मुखिया के खाते में नहीं, बल्कि सीधे महिला श्रमिकों के बैंक खातों में जमा की जाएगी। ‘मां का बगिया’ पहल के तहत ऐसा मॉडल अपनाने वाला मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य बन गया है।
अब तक पूरे देश में मनरेगा भुगतान की एक जैसी व्यवस्था थी:
चाहे मजदूरी पुरुष ने कमाई हो या महिला ने—राशि हमेशा जॉब कार्ड पर दर्ज पुरुष मुखिया के बैंक खाते में ही भेजी जाती थी।
जब मध्यप्रदेश ने महिलाओं के बैंक खातों में सीधे भुगतान का प्रस्ताव रखा, तो एक बड़ी समस्या सामने आई:
अधिकांश जॉब कार्ड में केवल पुरुषों को ही मुखिया के रूप में दर्ज किया गया था, जिससे महिलाओं को सीधे भुगतान संभव नहीं था।
विभागीय समीक्षा में सामने आया कि राज्य के करीब 31,500 समूहों में से एक प्रतिशत से भी कम में महिलाओं के नाम मुखिया दर्ज थे। यह तकनीकी रूप से नई व्यवस्था लागू करने में बाधा बन रहा था।
केंद्र ने दी विशेष अनुमति, लेकिन एक शर्त के साथ
इस समस्या के समाधान के लिए राज्य सरकार ने 2 सितंबर 2025 को ग्रामीण विकास मंत्रालय को प्रस्ताव भेजा, जिसमें नियमों में संशोधन करके महिलाओं को सीधे भुगतान की अनुमति मांगी गई।
17 नवंबर को केंद्र ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।
लेकिन इसके साथ एक शर्त जोड़ी गई:
महिला के खाते में मजदूरी भेजने के लिए पुरुष मुखिया की लिखित सहमति जरूरी होगी।
सॉफ्टवेयर अपडेट; 15 अगस्त के बाद शुरू कामों पर लागू नई प्रणाली
राज्य के अनुरोध के बाद राष्ट्रीय मनरेगा सॉफ्टवेयर में वह विकल्प जोड़ दिया गया है, जिससे जॉब कार्ड सीधे किसी महिला के नाम से लिंक किया जा सके।
नई व्यवस्था 15 अगस्त 2025 के बाद शुरू होने वाले सभी मनरेगा कार्यों पर लागू होगी।
मनरेगा कमिश्नर अवि प्रसाद ने पुष्टि की है कि सॉफ्टवेयर संशोधन पूरा हो चुका है।
‘मां का बगिया’ योजना के प्रमुख आंकड़े
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31,000+ प्रोजेक्ट प्रस्तावित
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30,815 प्रोजेक्ट मंज़ूर
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अनुमानित लागत: ₹748 करोड़
