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राजगढ़ में पुलिस टीम पर भीड़ का हमला: वारंटी पकड़ने गई टीम पर पत्थरबाज़ी और लाठीचार्ज, दो पुलिसकर्मी घायल
Rajgarh, MP
गांव वालों ने अपहरण का शक जताकर पुलिस को डेढ़ घंटे तक घेरकर रखा; गाड़ी के कांच फूटे, कपड़े फटे, जांच शुरू
राजगढ़ जिले के खिलचीपुर थाना क्षेत्र के अभयपुर गांव में गुरुवार को वारंटी को पकड़ने पहुंची पुलिस टीम पर ग्रामीणों ने अचानक हमला कर दिया। भीड़ ने पुलिसकर्मियों पर पत्थर फेंके, लाठी-डंडों से मारपीट की और उन्हें करीब डेढ़ घंटे तक घेरकर रखा। यह घटना आज की ताज़ा ख़बरों में तेजी से सुर्खियां बटोर रही है और पब्लिक इंटरेस्ट स्टोरी के रूप में सामने आई है।
पचोर थाने से गई टीम में वर्दीधारी और सिविल ड्रेस में पुलिसकर्मी शामिल थे। पुलिस एक वारंटी युवक को हिरासत में लेने का प्रयास कर रही थी, तभी ग्रामीणों ने उन्हें रोक लिया। अचानक हुए हमले में पुलिसकर्मी अरविंद गोयल और गौरव सिंह घायल हो गए। भीड़ ने पुलिस वाहन के कांच तोड़ दिए और हाथापाई के दौरान पुलिसकर्मियों के कपड़े भी फट गए। मामले को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय समाचार अपडेट में भी जगह मिल रही है।
घटनास्थल पर मौजूद ग्रामीणों ने बताया कि वे पुलिस टीम को बाहरी लोगों की तरह समझ बैठे थे। उनका आरोप है कि चार पुलिसकर्मी बिना पहचान बताए एक युवक को पकड़ने लगे, जिससे लोगों को अपहरण का संदेह हुआ। गांव के पुरसिंह सौंधिया मवेशियों को चारा डालकर लौट रहे थे, तभी हनुमान जी के चबूतरे के पास कार से उतरे चार लोग अचानक उन्हें पकड़कर मारपीट करने लगे। ग्रामीणों के अनुसार, न तो उन्होंने पहचान बताई और न ही युवक को ले जाने का कारण।
कुछ दिन पहले पास के धामनिया गांव से एक युवक के लापता होने की घटना ने ग्रामीणों की आशंका को और बढ़ा दिया। जैसे ही लोगों को जानकारी मिली, बड़ी संख्या में भीड़ मौके पर इकट्ठा हो गई। कार सवार लोग जब धामनिया की तरफ भागे तो ग्रामीण उनका पीछा करते हुए चारों को पकड़ लाए। इसके बाद दोनों पक्षों में तनाव बढ़ गया और स्थिति हिंसक हो गई।
सिटी कोतवाली और पचोर थाना पुलिस को सूचना मिलने पर अतिरिक्त बल मौके पर भेजा गया, जिसने काफी प्रयास के बाद स्थिति को नियंत्रित किया। पुलिसकर्मियों को भीड़ से सुरक्षित बाहर निकालने के बाद घायल स्टाफ का मेडिकल परीक्षण किया गया।
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि घटना की गंभीरता को देखते हुए वीडियो फुटेज, प्रत्यक्षदर्शियों के बयान और घटनास्थल की फॉरेंसिक जांच की जा रही है। पुलिस अब उन ग्रामीणों की पहचान कर रही है जिन्होंने भीड़ को हिंसा के लिए उकसाया। अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि वारंटी को पकड़ने की प्रक्रिया कानूनी थी, मगर टीम ने पहचान उजागर न करने की गलती की, जिससे भ्रम की स्थिति बनी।
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