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IMF की बड़ी रिपोर्ट: अमेरिकी टैरिफ के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था दौड़ी सबसे आगे, GDP अनुमान बढ़कर 6.6% हुआ
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दुनिया के कई देशों की अर्थव्यवस्थाएं मंदी और व्यापारिक टकराव से जूझ रही हैं, लेकिन भारत की रफ्तार थमने का नाम नहीं ले रही। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने अपने ताजा विश्व आर्थिक परिदृश्य (World Economic Outlook – WEO) में भारत की GDP वृद्धि दर का अनुमान 6.4% से बढ़ाकर 6.6% कर दिया है। यह इस बात का संकेत है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ फैसलों का असर भारत की विकास गति पर बहुत सीमित रहा है।
IMF की रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में भारत की अर्थव्यवस्था ने 7.8% की शानदार वृद्धि दर्ज की है, जो पिछले पांच तिमाहियों में सबसे अधिक है। यह तेजी दिखाती है कि भारत के उद्योग, निर्यात और घरेलू उपभोग में मजबूत सुधार जारी है। रिपोर्ट के मुताबिक, मजबूत घरेलू मांग, सरकारी पूंजी निवेश और विनिर्माण क्षेत्र की तेजी ने भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूती दी है।
IMF ने कहा – भारत बना वैश्विक विकास का इंजन
IMF ने अपनी रिपोर्ट में कहा, “भारत का प्रदर्शन उम्मीदों से कहीं बेहतर रहा है। शुरुआती तिमाही की मजबूती और सरकारी निवेश ने अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव को काफी हद तक संतुलित कर दिया।”
रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि भारत आने वाले वर्षों में वैश्विक विकास का प्रमुख इंजन बना रहेगा।
विश्व बैंक ने भी जताया विश्वास
IMF के बाद विश्व बैंक ने भी भारत की आर्थिक ताकत पर भरोसा जताते हुए अपने अनुमान को 6.3% से बढ़ाकर 6.5% कर दिया है। बैंक का कहना है कि भारत निकट भविष्य में विश्व की सबसे तेज़ी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा।
हालांकि IMF ने 2026-27 के लिए अनुमान को 6.2% पर ला दिया है, जिसे वैश्विक व्यापारिक अनिश्चितताओं, संरक्षणवादी नीतियों और जियो-इकोनॉमिक जोखिमों से जोड़ा गया है।
वैश्विक स्तर पर सुस्ती, भारत अपवाद बना
IMF की रिपोर्ट के अनुसार, 2025 में वैश्विक आर्थिक वृद्धि 3.2% रहने की उम्मीद है, जो 2024 के 3.3% से थोड़ा कम है। वहीं, उभरती अर्थव्यवस्थाओं की वृद्धि 2025 में 4.2% और 2026 में 4% रहने की संभावना जताई गई है। इसके उलट भारत की वृद्धि दर 6.6% पर बनी रहेगी, जो दर्शाता है कि भारत आर्थिक अस्थिरता के दौर में भी मजबूती से खड़ा है।
भारत की नीति और सुधारों का असर
आर्थिक विश्लेषकों का कहना है कि भारत के पूंजीगत निवेश, विनिर्माण प्रोत्साहन योजनाओं, ‘मेक इन इंडिया’ मिशन, और इंफ्रास्ट्रक्चर विस्तार के प्रयासों ने विकास की रफ्तार को थामे रखा है। सरकार की लगातार प्रोत्साहनकारी नीतियों, रोजगार सृजन, और तकनीकी नवाचारों ने भारत को वैश्विक निवेशकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना दिया है।