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EPF और EPS: रिटायरमेंट के लिए कौन सी योजना है फायदेमंद?
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रिटायरमेंट के बाद की आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए EPF (कर्मचारी भविष्य निधि) और EPS (कर्मचारी पेंशन योजना) दो महत्वपूर्ण सरकारी योजनाएं हैं। हालांकि ये दोनों योजनाएं ‘कर्मचारी भविष्य निधि एवं विविध प्रावधान अधिनियम 1952’ के तहत आती हैं, लेकिन इनके उद्देश्य और लाभ अलग-अलग हैं।
EPF क्या है?
EPF यानी कर्मचारी भविष्य निधि, आपके वेतन का 12% हिस्सा हर महीने जमा करने वाली लंबी अवधि की बचत योजना है। इसमें नियोक्ता और कर्मचारी दोनों योगदान करते हैं। नियोक्ता की 12% राशि में से 3.67% EPF में जाता है और बाकी EPS फंड में। EPF पर सरकार हर साल निश्चित ब्याज देती है, जो फिलहाल 8.25% (2024-25) है और टैक्स फ्री है। नौकरी बदलने या छोड़ने पर भी कुछ नियमों के तहत आप EPF की राशि निकाल सकते हैं।
EPS क्या है?
EPS यानी कर्मचारी पेंशन योजना, एक पेंशन योजना है जिसमें केवल नियोक्ता योगदान करता है। नियोक्ता आपके वेतन का 8.33% EPS फंड में जमा करता है। 10 साल काम करने और 58 वर्ष की उम्र पूरी करने के बाद आप पेंशन के लिए पात्र हो जाते हैं। अगर कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है, तो नामांकित व्यक्ति को पेंशन मिलती रहती है। यह योजना आपके परिवार की सुरक्षा भी सुनिश्चित करती है।
कौन सी योजना आपके लिए बेहतर?
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अगर आप रिटायरमेंट पर एकमुश्त राशि चाहते हैं → EPF बेहतर है।
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अगर आप हर महीने स्थिर आय चाहते हैं → EPS फायदेमंद है।
विशेषज्ञों का कहना है कि दोनों योजनाओं को मिलाकर रिटायरमेंट सुरक्षा मजबूत होती है। इसलिए नौकरी के दौरान नियमित योगदान करना और योजनाओं की पूरी जानकारी रखना बेहद जरूरी है।