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GST कटौती से बढ़ेगी बैंकिंग क्रेडिट डिमांड, ग्रामीण और रिटेल बाजार में 10% तक बढ़ सकता उपभोग
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केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में लागू किए गए जीएसटी सुधार से बैंकों को उम्मीद है कि रिटेल, एमएसएमई और कृषि क्षेत्रों में क्रेडिट की मांग में बढ़ोतरी होगी। कीमतों में कमी और आय में वृद्धि से व्यवसायों और किसानों को निवेश और कार्यशील पूंजी के लिए अधिक फंड की आवश्यकता महसूस होगी।
बैंकिंग सेक्टर में उम्मीदें
इंडियन ओवरसीज बैंक के सीईओ अजय कुमार श्रीवास्तव के अनुसार, जीएसटी कटौती अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक असर डालेगी। वितरकों और रिटेलर्स की नकदी प्रवाह सुधरेगी, छोटे व्यवसायों को वर्किंग कैपिटल तक बेहतर पहुंच मिलेगी और उपभोग बढ़ने से बैंकिंग क्रेडिट की मांग भी बढ़ेगी। श्रीवास्तव ने इसे “समावेशी विकास” का नया अवसर बताया।
ग्रामीण बाजारों में उपभोग में उछाल
विशेषज्ञों का कहना है कि अगले दो तिमाहियों में ग्रामीण बाजारों में उपभोग में 8–10% तक वृद्धि हो सकती है। किसानों को कृषि उत्पादों पर जीएसटी 12% से घटाकर 5% करने का सीधा फायदा मिलेगा। इससे ग्रामीण क्रेडिट और निवेश में तेजी आएगी।
उपभोक्ताओं को मिलेगा लाभ
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दूध, डेयरी उत्पाद और घरेलू सामान पर कर कटौती से रोजमर्रा की खरीदारी सस्ती होगी।
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वाहन, इलेक्ट्रॉनिक्स और हाउसिंग मैटीरियल पर टैक्स कम होने से इन क्षेत्रों में मांग बढ़ेगी।
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बीमा पॉलिसियों को टैक्स-फ्री करने से वित्तीय समावेशन को बढ़ावा मिलेगा।
क्रेडिट ग्रोथ का नया अवसर
केयरएज रेटिंग्स के संजय अग्रवाल के अनुसार, कीमतों में कमी से उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति बढ़ेगी, जिससे खासकर ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स की बिक्री में तेजी आएगी।
बैंकों को ऑटो लोन और पर्सनल लोन की मांग में भी उछाल देखने को मिलेगा।
वर्तमान बैंकिंग क्रेडिट वितरण:
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हाउसिंग लोन: 16.7%
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वाहन लोन: 3.5%
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क्रेडिट कार्ड: 1.6%
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कंज्यूमर ड्यूरेबल्स लोन: 0.1%
विशेषज्ञों का कहना है कि जीएसटी कटौती से न केवल बैंकिंग क्रेडिट ग्रोथ को बढ़ावा मिलेगा बल्कि ग्रामीण और शहरी बाजारों में उपभोग को भी नई गति मिलेगी।