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हुंडई ने ओला इलेक्ट्रिक से तोड़ा नाता, ₹552 करोड़ में बेची पूरी हिस्सेदारी
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तेज शुरुआत और ऊंची उम्मीदों के बाद अब ओला इलेक्ट्रिक मोबिलिटी के लिए हालात चुनौतीपूर्ण होते जा रहे हैं।
दक्षिण कोरियाई दिग्गज हुंडई मोटर कंपनी ने मंगलवार को ओला इलेक्ट्रिक में अपनी समूची 2.47 प्रतिशत हिस्सेदारी मात्र 552 करोड़ रुपये में बेच दी है। इस सौदे के बाद ऑटो सेक्टर में हलचल मच गई है, क्योंकि यह कदम ओला की वित्तीय सेहत और निवेशकों के भरोसे पर सवाल खड़ा कर रहा है।
क्या है पूरा मामला?
पीटीआई की रिपोर्ट और एनएसई पर दर्ज बल्क डील डेटा के मुताबिक, हुंडई मोटर कंपनी ने बेंगलुरु स्थित ओला इलेक्ट्रिक मोबिलिटी के 10.88 करोड़ से अधिक शेयर, 50.70 रुपये प्रति शेयर की औसत कीमत पर बेचे। इससे डील का कुल मूल्य 551.96 करोड़ रुपये रहा। कंपनी ने इसके साथ ही ओला इलेक्ट्रिक से पूरी तरह किनारा कर लिया है।
किआ कॉर्पोरेशन ने भी दिखाई पीठ
हुंडई के साथ ही उसके ग्रुप की अन्य कंपनी किआ कॉर्पोरेशन ने भी ओला इलेक्ट्रिक में अपनी 0.62 प्रतिशत हिस्सेदारी बेच दी। किआ ने 2.71 करोड़ से अधिक शेयर 50.55 रुपये प्रति शेयर की दर से बेचे, जिससे उसे 137.35 करोड़ रुपये प्राप्त हुए। यह स्पष्ट संकेत है कि हुंडई-किआ ग्रुप को ओला में भविष्य की संभावनाएं अब सीमित लग रही हैं।
नए खरीदार कौन बने?
इस बड़े बदलाव के बीच सिटीग्रुप ग्लोबल मार्केट्स मॉरीशस ने ओला इलेक्ट्रिक में भरोसा जताया है। सिटीग्रुप ने करीब 8.61 करोड़ शेयर, यानी 1.95% हिस्सेदारी, 435 करोड़ रुपये में खरीदी। यह सौदा भी 50.55 रुपये प्रति शेयर की औसत कीमत पर हुआ।
ओला के शेयर और वित्तीय हालत कमजोर
हुंडई-किआ की बिकवाली के बीच ओला इलेक्ट्रिक के शेयरों पर नकारात्मक असर पड़ा। मंगलवार को एनएसई पर इसका शेयर 7.58 प्रतिशत गिरकर 49.61 रुपये पर बंद हुआ।
ओला इलेक्ट्रिक ने 31 मार्च 2025 को समाप्त चौथी तिमाही में 870 करोड़ रुपये का भारी शुद्ध घाटा दर्ज किया है, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह घाटा 416 करोड़ रुपये था।
सालाना आधार पर भी ओला के आंकड़े चिंता पैदा करते हैं:
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वित्त वर्ष 2025 में कुल घाटा: ₹2,276 करोड़
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वित्त वर्ष 2024 में कुल घाटा: ₹1,584 करोड़
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ऑपरेशन से राजस्व में गिरावट: ₹5,010 करोड़ (FY24) से घटकर ₹4,514 करोड़ (FY25)
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Q4 FY25 राजस्व: केवल ₹611 करोड़ (पिछले वर्ष की तुलना में ₹1,598 करोड़ से काफी कम)
क्या कहती है ओला की रणनीति?
कंपनी ने दावा किया है कि वह वित्त वर्ष 2025 में लाभ की दिशा में बढ़ने की कोशिश कर रही है, लेकिन लगातार बढ़ता घाटा और बड़े निवेशकों की विदाई ने बाजार का भरोसा डगमगाया है।