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तीन साल में तीन गुना बढ़े 5–10 लाख आय वाले टैक्सपेयर्स: इस साल रिकॉर्ड 10 करोड़ लोग रिटर्न भरेंगे
Digital Desk
केंद्र सरकार द्वारा आयकर छूट बढ़ाए जाने के बाद टैक्स रिटर्न भरने वालों की संख्या में उलटा रुझान देखने को मिला है। शुरुआती आशंका थी कि छूट बढ़ने से रिटर्न भरने वालों की संख्या और कुल रिटर्न में कमी आएगी। लेकिन पिछले तीन साल में 5 से 10 लाख रुपये आय वाले करदाताओं का हिस्सा 2.8 गुना बढ़ गया है।
वित्त वर्ष 2023-24 में इस आय वर्ग के 16.39% लोगों ने रिटर्न भरा था। यह बढ़कर 2024-25 में 37% और 2025-26 में 46% हो गया है।
2025-26 से नए टैक्स नियम के तहत अब 12 लाख तक की कमाई पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। नौकरीपेशा के लिए 75,000 रुपये के स्टैंडर्ड डिडक्शन के साथ यह छूट 12.75 लाख रुपये तक पहुंच जाएगी।
करदाताओं के सामने आने के कारण:
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नोटिस का डर कम: आईसीएआई के पूर्व चेयरमैन (डायरेक्ट टैक्स कमेटी) चंद्रशेखर चितले के अनुसार, छूट सीमा बढ़ने से करदाता सुरक्षित महसूस करते हैं। पहले छोटे कारोबारी नोटिस के डर से टैक्स से बचते थे।
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आय की पूरी घोषणा: टैक्स-फ्री सीमा बढ़ने पर करदाता अपनी पूरी आय घोषित कर रहे हैं। यह मानसिक सुकून भी देता है।
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डिजिटल ट्रैकिंग: यूपीआई, जीएसटी और AIS जैसी डिजिटल प्रणालियों से लेन-देन ट्रैक करना आसान हुआ, जिससे टैक्स नियमों का पालन बढ़ा।
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उच्च छूट का लाभ: जो लोग पहले डर के कारण कम आय दिखाते थे, उन्हें अब खुद को साफ करने का मौका मिला।
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आय में वृद्धि: औपचारिक वेतन, गिग इकोनॉमी और छोटे व्यवसायों में वृद्धि से कई लोगों की वास्तविक आय बढ़ी है।
पहली बार 25 लाख करोड़ रुपये का टैक्स संग्रह संभव
संसद में बताया गया कि पिछले पांच साल में कॉर्पोरेट, HUF और व्यक्तिगत करदाताओं को 13.23 लाख करोड़ रुपये की छूट दी गई, लेकिन टैक्स संग्रह में गिरावट नहीं आई।
इस साल कुल टैक्स संग्रह का लक्ष्य 25.2 लाख करोड़ रुपये रखा गया है, जो पिछले वर्ष 22.26 लाख करोड़ रुपये से 13.36% अधिक है।
2022-23 से 2023-24 के बीच रिटर्न भरने वालों की संख्या 1.39 करोड़ बढ़ी है। इस साल यह आंकड़ा रिकॉर्ड 10 करोड़ तक पहुंच सकता है। 31 अक्टूबर तक रिटर्न भरने वालों की संख्या 8 करोड़ पार कर चुकी है, जिसमें ऑडिट और कंपनी रिटर्न शामिल नहीं हैं।
