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International Labour Day 2025: मजदूरों को मिलते हैं ये कानूनी अधिकार, जानिए 1 मई की अहमियत
Jagran Desk
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हर साल 1 मई को दुनियाभर में ‘अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस’ मनाया जाता है, जिसे हम श्रमिक दिवस या मई दिवस के नाम से भी जानते हैं। यह दिन सिर्फ एक छुट्टी नहीं, बल्कि उन मेहनतकश हाथों को सम्मान देने का दिन है जो समाज की नींव मजबूत करते हैं। यह दिन हमें याद दिलाता है कि हर मजदूर के अधिकारों की रक्षा करना हमारी जिम्मेदारी है।
मजदूर दिवस का इतिहास
1 मई 1886 को अमेरिका के शिकागो शहर में मजदूरों ने 8 घंटे काम की मांग को लेकर विशाल प्रदर्शन किया था। इस दौरान हुई हिंसा में कई मजदूरों की जान चली गई। उनके बलिदान को याद करते हुए 1 मई को 'लेबर डे' घोषित किया गया। भारत में पहली बार 1923 में चेन्नई में यह दिवस मनाया गया था।
भारतीय कानून मजदूरों को क्या अधिकार देते हैं?
भारतीय संविधान और श्रम कानूनों में मजदूरों को कई तरह की सुरक्षा और अधिकार प्रदान किए गए हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख निम्नलिखित हैं:
1. श्रम संहिताएं (Labour Codes)
2020 में भारत सरकार ने 29 पुराने श्रम कानूनों को समाहित कर चार प्रमुख संहिताएं लागू कीं:
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वेतन संहिता (2019): न्यूनतम वेतन, समय पर भुगतान और समान वेतन का प्रावधान।
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औद्योगिक संबंध संहिता (2020): यूनियन बनाने, हड़ताल, और सेवा समाप्ति से जुड़े नियम।
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सामाजिक सुरक्षा संहिता (2020): ईएसआई, पीएफ, मातृत्व लाभ और पेंशन की गारंटी।
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कार्यस्थल सुरक्षा संहिता (2020): मजदूरों के लिए सुरक्षित और स्वच्छ कार्य वातावरण।
2. मनरेगा (MGNREGA)
ग्रामीण मजदूरों के लिए यह योजना साल में 100 दिन का रोजगार सुनिश्चित करती है।
3. बाल श्रम निषेध कानून
14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से मजदूरी कराना कानूनी अपराध है।
4. न्यूनतम वेतन अधिनियम (1948)
हर मजदूर को उनके काम के बदले एक तय न्यूनतम वेतन मिलना अनिवार्य है।
5. वेतन भुगतान अधिनियम (1936)
यह कानून तय करता है कि मजदूरों को वेतन कब और कैसे दिया जाएगा।
6. औद्योगिक विवाद अधिनियम (1947)
मालिक और कर्मचारी के बीच विवाद की स्थिति में यह कानून समाधान का रास्ता बताता है।
7. कार्यस्थल पर मुआवजा अधिनियम (1923)
काम के दौरान चोट लगने या दुर्घटना की स्थिति में मुआवजा सुनिश्चित करता है।
8. ईपीएफ अधिनियम (1952)
इस कानून के तहत कर्मचारी भविष्य निधि की व्यवस्था की जाती है।
9. कारखाना अधिनियम (1948)
कारखानों में काम की स्थिति, घंटों और सुरक्षा संबंधी नियमों को नियंत्रित करता है।
10. मातृत्व लाभ अधिनियम (1961)
कामकाजी महिलाओं को गर्भावस्था में वेतन सहित अवकाश का अधिकार।
11. समान पारिश्रमिक अधिनियम (1976)
पुरुष और महिला को समान कार्य के लिए समान वेतन सुनिश्चित करता है।
12. कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम
मजदूरों को स्वास्थ्य और अन्य सामाजिक सुरक्षा लाभ उपलब्ध कराता है।