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“साउंड्स ऑफ़ कुंभा” ग्रैमी विचार सूची में शामिल: महाकुंभ के आध्यात्मिक स्वर अब पहुंचे अंतरराष्ट्रीय मंच तक
Jagran Desk
भारतीय सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत से प्रेरित एल्बम “साउंड्स ऑफ़ कुंभा” को 68वें ग्रैमी अवॉर्ड्स के लिए विचारार्थ प्रस्तुत किया गया है; अंतिम नामांकन 7 नवंबर 2025 को घोषित होंगे।
भारत की आध्यात्मिक ध्वनियों और सांस्कृतिक विरासत से प्रेरित संगीत एल्बम “साउंड्स ऑफ़ कुंभा” अब अंतरराष्ट्रीय मंच पर सुर्खियाँ बटोर रहा है। इस एल्बम को 68वें ग्रैमी पुरस्कारों के लिए विचारार्थ प्रस्तुत किया गया है। हालांकि इसे अभी आधिकारिक नामांकन नहीं मिला है, लेकिन यह “सर्वश्रेष्ठ वैश्विक संगीत एल्बम” (Best Global Music Album) और “सर्वश्रेष्ठ वैश्विक संगीत प्रदर्शन” (Best Global Music Performance) जैसी दो प्रमुख श्रेणियों में मतपत्र में शामिल है।
ग्रैमी विचार चरण में “साउंड्स ऑफ़ कुंभा”
रिकॉर्डिंग अकादमी द्वारा जारी जानकारी के अनुसार, एल्बम वर्तमान में “For Your Consideration” (आपके विचारार्थ) चरण में है। यानी इसे मतदान सदस्यों द्वारा समीक्षा के लिए प्रस्तुत किया गया है। ग्रैमी के अंतिम नामांकन 7 नवंबर 2025 को घोषित किए जाएंगे। यदि यह सूची में स्थान बनाता है, तो यह भारतीय आध्यात्मिक परंपरा और संगीत के लिए एक ऐतिहासिक क्षण होगा।
महाकुंभ की आत्मा को संगीत में पिरोता एल्बम
12 ट्रैक वाले “साउंड्स ऑफ़ कुंभा” एल्बम में भारतीय संस्कृति के सबसे बड़े आध्यात्मिक आयोजन — महाकुंभ — के विविध पहलुओं को संगीत के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है। इसमें पारंपरिक भारतीय ध्वनियों, लोक वाद्ययंत्रों और वास्तविक “फील्ड रिकॉर्डिंग” का उपयोग करते हुए श्रद्धा, समर्पण और एकत्व की भावना को स्वर दिया गया है। एल्बम का उद्देश्य विश्व स्तर पर भारतीय अध्यात्म और कुंभ के सांस्कृतिक संदेश को साझा करना है।
अंतरराष्ट्रीय कलाकारों का अनोखा संगम
इस एल्बम में अनेक प्रतिष्ठित कलाकारों का सहयोग शामिल है। आध्यात्मिक गुरु गुरुदेव श्री श्री रविशंकर, ग्रैमी विजेता और नामांकित कलाकार जिम “किमो” वेस्ट, मैडी दास, रॉन कॉर्ब और राजा कुमारी सहित कई अंतरराष्ट्रीय संगीतकारों ने इसमें योगदान दिया है। पारंपरिक भारतीय ध्वनि और आधुनिक संगीत तकनीकों का यह संगम एल्बम को वैश्विक श्रोताओं के लिए विशिष्ट बनाता है।
भारतीय संगीत को विश्व पटल पर नया आयाम
संगीत समीक्षकों का मानना है कि “साउंड्स ऑफ़ कुंभा” भारतीय आध्यात्मिक संगीत की आधुनिक प्रस्तुति है, जो न केवल भारतीय श्रोताओं बल्कि अंतरराष्ट्रीय दर्शकों को भी आकर्षित करने में सक्षम है। यह परियोजना “सॉफ्ट पावर” के रूप में भारतीय संस्कृति के वैश्विक प्रभाव को रेखांकित करती है।
आगे की राह
अब संगीत जगत की निगाहें 7 नवंबर पर टिकी हैं, जब ग्रैमी के अंतिम नामांकनों की घोषणा की जाएगी। यदि “साउंड्स ऑफ़ कुंभा” चयनित होता है, तो यह भारत के संगीत इतिहास में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि साबित होगी, जो यह दर्शाएगी कि भारतीय अध्यात्म की ध्वनि अब सचमुच वैश्विक हो चुकी है।
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