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छत्तीसगढ़ शराब घोटाला: ED ने तीन डिस्टलरी और आबकारी अफसरों की करोड़ों की संपत्ति जब्त की, 81 लोगों पर शिकंजा
छत्तीसगढ़
दो साल की जांच के बाद प्रवर्तन निदेशालय ने विशेष अदालत में दाखिल की विस्तृत चार्जशीट, कंपनियों से लेकर अफसरों तक पर कार्रवाई
छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने जांच को निर्णायक मोड़ देते हुए बड़ी कुर्की कार्रवाई की है। एजेंसी ने भाटिया वाइन मर्चेंट, वेलकम डिस्टलरी और छत्तीसगढ़ डिस्टलरी से जुड़ी करीब 68 करोड़ रुपये की चल-अचल संपत्तियों को अटैच किया है। इसके साथ ही आबकारी विभाग के पूर्व वरिष्ठ अधिकारियों सहित 31 सरकारी अफसरों की लगभग 38 करोड़ रुपये की संपत्ति भी जब्त की गई है।
यह कार्रवाई रायपुर की विशेष अदालत में ED द्वारा अंतिम चार्जशीट दाखिल किए जाने से ठीक पहले की गई। एजेंसी ने करीब 29,800 पन्नों की चार्जशीट पेश करते हुए इस मामले में कुल 81 लोगों को आरोपी बनाया है। इनमें अधिकारी, कारोबारी, शराब निर्माण और वितरण से जुड़ी कंपनियां तथा लाइसेंसधारी शामिल हैं। ED का दावा है कि यह मामला तीन हजार करोड़ रुपये से अधिक के कथित अवैध लेनदेन से जुड़ा है।
जांच के दायरे में बढ़ी सूची
चार्जशीट में 59 नए नाम जोड़े गए हैं। इनमें राज्य शासन के पूर्व शीर्ष अधिकारियों, आबकारी विभाग से जुड़े अफसरों और शराब कारोबार से संबंधित संस्थाओं को शामिल किया गया है। जांच एजेंसी के अनुसार, अवैध धन को संगठित ढंग से इकट्ठा कर अलग-अलग माध्यमों से खपाया गया। एजेंसी का कहना है कि अब तक इस मामले में 382 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति जब्त की जा चुकी है।
ED ने अदालत में डिजिटल डेटा, बैंक खातों के लेनदेन, कॉल रिकॉर्ड, संपत्ति से जुड़े दस्तावेज और कई गवाहों के बयान सबूत के तौर पर पेश किए हैं। एजेंसी के अनुसार, इन साक्ष्यों से पूरे नेटवर्क की भूमिका स्पष्ट होती है।
अब शुरू होगी न्यायिक प्रक्रिया
अंतिम चार्जशीट दाखिल होने के बाद अब इस प्रकरण में ट्रायल शुरू होने की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी। अदालत पहले आरोप तय करेगी, इसके बाद गवाहों की पेशी और सबूतों की जांच होगी। वहीं, राज्य की आर्थिक अपराध शाखा और एंटी करप्शन ब्यूरो ने अपनी समानांतर जांच के लिए समय सीमा बढ़ाने की मांग की है।
इससे पहले राज्य पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने भी इस घोटाले से जुड़े एक अन्य मामले में अलग चार्जशीट दाखिल की थी, जिसमें कई प्रभावशाली नाम सामने आए थे।
ED का आरोप: सुनियोजित तरीके से हुआ खेल
प्रवर्तन निदेशालय का कहना है कि कथित घोटाले में शराब निर्माण से लेकर खुदरा बिक्री तक एक संगठित तंत्र काम कर रहा था। आरोप है कि डिस्टलरी संचालकों से कमीशन वसूला गया, सप्लाई एरिया में बदलाव कर आर्थिक लाभ लिया गया और सरकारी व्यवस्था का दुरुपयोग कर अवैध कमाई की गई। इससे राज्य को बड़े पैमाने पर राजस्व नुकसान हुआ।मामला अब पूरी तरह अदालत के अधीन है। आने वाले महीनों में सुनवाई तेज होने की संभावना है।
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