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डिजिटल डिटॉक्स: आधुनिक जीवन में मानसिक शांति की कुंजी
लाइफस्टाइल डेस्क
डिजिटल डिटॉक्स केवल तकनीक से दूर रहने का नाम नहीं, बल्कि मानसिक शांति, स्वास्थ्य और बेहतर जीवन शैली अपनाने का तरीका है। आधुनिक जीवन की भागदौड़ में यह एक छोटा सा ब्रेक हमारे स्वास्थ्य और संतुलन के लिए बड़ी राहत साबित हो सकता है।
आज के डिजिटल युग में मोबाइल, लैपटॉप और इंटरनेट पर लगातार निर्भरता ने हमारे जीवन को सुविधाजनक बनाने के साथ-साथ तनावपूर्ण भी बना दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि समय-समय पर डिजिटल डिटॉक्स यानी इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से विराम लेना मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी है।
डिजिटल डिटॉक्स के दौरान व्यक्ति अपने मोबाइल, सोशल मीडिया और अनावश्यक डिजिटल गतिविधियों से कुछ समय दूर रहता है। इससे मानसिक तनाव कम होता है, ध्यान और एकाग्रता बढ़ती है और नींद की गुणवत्ता में सुधार आता है। शोध बताते हैं कि लगातार डिजिटल उपकरणों के उपयोग से आंखों में थकान, सिरदर्द और चिंता जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं।
विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि रोजाना कम से कम एक या दो घंटे डिजिटल ब्रेक लेना चाहिए। इस दौरान लोग प्रकृति के साथ समय बिताएं, किताबें पढ़ें या परिवार और दोस्तों के साथ संवाद करें। इससे न केवल मानसिक स्वास्थ्य सुधरता है, बल्कि रचनात्मकता और उत्पादकता भी बढ़ती है।
कुछ कंपनियां और स्कूल भी डिजिटल डिटॉक्स अभियान चला रही हैं, जिसमें कर्मचारियों और छात्रों को स्क्रीन टाइम कम करने और ऑफलाइन गतिविधियों में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
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