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शिवपुरी में 45 किमी लंबी चुनरी यात्रा: चिन्नौदी से कदवाया तक श्रद्धा और एकता का जनसैलाब
Shivpuri,MP
चौदस माता बीजासेन के प्रति आस्था व्यक्त करने निकली यात्रा में महिलाओं, पुरुषों और बच्चों की बड़ी भागीदारी; गांव की सुख-समृद्धि और शांति की कामना की गई
शिवपुरी जिले के पिछोर अनुविभाग में बुधवार को चिन्नौदी गांव से कदवाया (ईसागढ़) तक 45 किलोमीटर लंबी चुनरी यात्रा निकाली गई। यह धार्मिक यात्रा सुबह से शुरू होकर देर शाम गंतव्य तक पहुंची। चौदस माता बीजासेन के प्रति श्रद्धा और आस्था व्यक्त करने के उद्देश्य से आयोजित इस यात्रा में हजारों ग्रामीण कदम से कदम मिलाते हुए शामिल हुए। आयोजन स्थानीय स्तर पर तेजी से ट्रेंडिंग न्यूज इंडिया का हिस्सा बना।
चिन्नौदी गांव से निकली इस चुनरी यात्रा में महिलाएं, युवा, बुजुर्ग और बच्चे बड़ी संख्या में शामिल हुए। यात्रा धार्मिक गीतों, भजनों और डीजे की धुन के साथ आगे बढ़ती रही। मार्ग भर माता के जयकारों से वातावरण भक्तिमय रहा। ग्रामीणों ने इसे न केवल धार्मिक आयोजन, बल्कि गांव की शांति, सद्भाव और सुख-समृद्धि के लिए सामूहिक प्रार्थना का रूप बताया।
महंत आनंदपुरी महाराज ने बताया कि चिन्नौदी गांव वर्षभर धार्मिक गतिविधियों का केंद्र रहा है। यहां विभिन्न त्योहार और धार्मिक आयोजन सामूहिक सहभागिता से सम्पन्न होते हैं। उन्होंने कहा कि चुनरी यात्रा गांव में बढ़ती आस्था और सामाजिक एकता का प्रतीक है। उनके अनुसार बीजासेन माता की कृपा के लिए हर वर्ष अनुष्ठान और यात्राएं आयोजित की जाती हैं, जिनमें ग्रामीणों का उत्साह देखते ही बनता है।
ग्रामीण रामनिवास बघेल ने बताया कि चिन्नौदी के लोग बिना किसी भेदभाव के ऐसे आयोजनों को सफल बनाने में हमेशा आगे रहते हैं। उन्होंने बताया कि पिछले महीने भी गांव से कई श्रद्धालु विभिन्न तीर्थ यात्राओं से लौटे हैं, जिससे धार्मिक वातावरण लगातार बने रहने में मदद मिलती है। बघेल के अनुसार इस यात्रा ने गांव के सामाजिक बंधन को और मजबूत किया है।
45 किमी लंबी यह चुनरी यात्रा स्थानीय प्रशासन की निगरानी में शांतिपूर्ण तरीके से सम्पन्न हुई। रास्ते में श्रद्धालुओं के लिए जलपान और आराम स्थलों की व्यवस्था भी की गई, जिनमें आसपास के गांवों के लोगों ने सहयोग दिया। आयोजकों का कहना है कि यात्रा का उद्देश्य सिर्फ धार्मिक आस्था तक सीमित नहीं, बल्कि गांव में एकजुटता और सकारात्मक माहौल को बढ़ावा देना था।
स्थानीय लोगों का मानना है कि इस तरह के आयोजन ग्रामीण क्षेत्र में सामुदायिक भागीदारी को बढ़ाते हैं और युवा पीढ़ी को सांस्कृतिक परंपराओं से जोड़ते हैं। यह यात्रा शिवपुरी जिले के धार्मिक आयोजनों में एक महत्वपूर्ण जोड़ बन गई, जिसकी चर्चा पूरे क्षेत्र में रही।
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