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इंदौर में विदेशी महिला को नई जिंदगी: जटिल सर्जरी से उज्बेकिस्तान की 70 वर्षीय मरीज की जान बची
इंदौर (म.प्र.)
फेफड़े का 40% खराब हिस्सा निकालकर भारतीय डॉक्टरों ने किया चमत्कार, स्वस्थ होकर नाचते-गाते देश लौटीं महिला
भारत की चिकित्सा क्षमता का एक और उदाहरण सामने आया है। मध्यप्रदेश के इंदौर शहर में डॉक्टरों की एक टीम ने उज्बेकिस्तान की 70 वर्षीय महिला की जान बचाकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सराहना बटोरी है। गंभीर सांस की बीमारी से जूझ रही विदेशी महिला की जटिल सर्जरी कर डॉक्टरों ने उसके फेफड़े का 40 प्रतिशत खराब हिस्सा निकाल दिया। सफल इलाज के बाद महिला पूरी तरह स्वस्थ होकर अस्पताल से डिस्चार्ज हुई और नाचते-गाते अपने देश रवाना हुई।
यह सर्जरी इंदौर के चोइथराम अस्पताल में की गई। मरीज अल्ला सिमरोनोवा पिछले डेढ़ साल से सांस लेने में भारी परेशानी झेल रही थीं। उज्बेकिस्तान में पर्याप्त उन्नत चिकित्सा सुविधा उपलब्ध न होने के कारण उन्हें भारत लाया गया। 18 दिसंबर को की गई यह सर्जरी करीब पांच घंटे तक चली और इसे अत्यंत जटिल माना जा रहा था।
डॉक्टरों के अनुसार जांच में पता चला कि महिला के बाएं फेफड़े में तेजी से बढ़ने वाला बड़ा ट्यूमर था, जिसने सांस की नली को लगभग बंद कर दिया था। यह स्थिति जानलेवा हो सकती थी। इंटरवेंशनल पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. गौरव गुप्ता ने बताया कि इस तरह के ट्यूमर में सामान्य ऑपरेशन पर्याप्त नहीं होता। ट्यूमर के साथ फेफड़े का खराब हिस्सा पूरी तरह निकालना जरूरी होता है, ताकि दोबारा बीमारी न बढ़े।
सर्जरी के दौरान डॉक्टरों ने पहले फेफड़े और ट्यूमर को सावधानी से बाहर निकाला। इसके बाद ट्यूमर और फेफड़े के 40 प्रतिशत क्षतिग्रस्त हिस्से को अलग कर दिया गया। शेष 60 प्रतिशत स्वस्थ फेफड़े को फिर से सांस की नली से जोड़ा गया। इस पूरी प्रक्रिया में मरीज की जान को हर पल खतरा था, लेकिन डॉक्टरों की टीम ने संतुलन और अनुभव से ऑपरेशन को सफल बनाया।
सर्जरी के बाद महिला की हालत तेजी से सुधरी। छह दिनों के भीतर वह सामान्य रूप से सांस लेने लगीं और चलने-फिरने में सक्षम हो गईं। अस्पताल प्रशासन के अनुसार, डिस्चार्ज के समय महिला भावुक थीं और भारतीय डॉक्टरों का आभार जताते हुए खुशी से नाचती नजर आईं। यह दृश्य अस्पताल स्टाफ और अन्य मरीजों के लिए भी भावनात्मक क्षण बन गया।
उज्बेकिस्तान के टिब्ब हेल्थ केयर एंड नेफ्रो मेडिकेयर के डायरेक्टर डॉ. फरीद खान ने महिला को इंदौर रेफर किया था। मेडिकल वीजा और अन्य औपचारिकताओं में स्थानीय को-ऑर्डिनेटर परवेज खान ने सहयोग किया। अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि यह मामला भारत की उन्नत स्वास्थ्य सेवाओं और मेडिकल टूरिज्म की बढ़ती विश्वसनीयता को दर्शाता है।
चिकित्सा विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की सफल सर्जरी न केवल पब्लिक इंटरेस्ट स्टोरी है, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय मरीजों के लिए भारत को एक भरोसेमंद इलाज केंद्र के रूप में स्थापित करती है। आने वाले समय में इंदौर जैसे शहरों में जटिल सर्जरी के लिए विदेशी मरीजों की संख्या और बढ़ सकती है।
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