सावन में नॉनवेज और शराब से परहेज़ क्यों ज़रूरी? जानिए 5 वैज्ञानिक कारण

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सावन का महीना केवल आध्यात्मिक साधना का समय नहीं होता, बल्कि यह मौसम वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी खास सावधानी की मांग करता है।

इसी वजह से इस दौरान नॉनवेज और शराब से दूरी बनाए रखने की परंपरा है — जिसे अब वैज्ञानिक भी तथ्यात्मक रूप से सही मानते हैं।

आइए जानते हैं, सावन में मांसाहार और शराब से परहेज करने के पीछे छिपे 5 बड़े वैज्ञानिक कारण—


1. मानसून: मछलियों के प्रजनन और जल संक्रमण का समय

सावन यानी बारिश का मौसम, जो मछलियों की ब्रीडिंग सीजन होता है। इस समय जल स्रोतों में बैक्टीरिया और विषाणुओं की संख्या तेजी से बढ़ती है, जिससे मछली सहित अन्य नॉनवेज आइटम तेज़ी से दूषित होते हैं। इससे फूड पॉइज़निंग, उल्टी-दस्त और आंतरिक संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।


2. कमजोर इम्युनिटी और बढ़ती बीमारियों का खतरा

आयुर्वेद विशेषज्ञों के अनुसार, मानसून में शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्युनिटी) सबसे कमजोर होती है। इस दौरान नॉनवेज खाने से संक्रमण की आशंका दोगुनी हो जाती है, क्योंकि जानवरों में भी मानसून के समय बीमारियों का फैलाव ज्यादा होता है।


3. मांसाहार का पाचन कठिन, बढ़ाता है अपच और भारीपन

नॉनवेज को तामसिक और भारी भोजन माना जाता है। मानसून में पाचन अग्नि मंद हो जाती है, जिससे मांसाहारी भोजन को पचाने में ज्यादा मेहनत लगती है। नतीजा — गैस, एसिडिटी, अपच और थकान जैसी समस्याएं सामने आती हैं।


4. शराब से बढ़ता डिहाइड्रेशन, बिगड़ता ब्लड प्रेशर

बारिश और उमस का मौसम पहले ही शरीर से अधिक पसीना और जल-निष्कासन करवा देता है। ऐसे में शराब का सेवन शरीर को और ज्यादा डिहाइड्रेट कर देता है। इससे ब्लड प्रेशर में उतार-चढ़ाव, थकावट और चिड़चिड़ापन जैसी समस्याएं हो सकती हैं।


5. सड़क दुर्घटनाओं और जोखिमों में होती है वृद्धि

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और अन्य अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट्स के अनुसार, मानसून में शराब पीकर वाहन चलाने से सड़क हादसों का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। सावन के दौरान फिसलन भरी सड़कों और कमजोर दृश्यता के चलते यह और भी खतरनाक हो जाता है।


 धार्मिक और सामाजिक पहलू भी हैं अहम

सावन भगवान शिव को समर्पित महीना है, जिसमें सद्गुण, संयम और सात्विकता का पालन करना प्रमुख माना जाता है। ऐसे में मांस-मदिरा से दूरी सांस्कृतिक और आत्मिक शुद्धता का प्रतीक बन जाती है।

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