- Hindi News
- टॉप न्यूज़
- मुंबई एयरपोर्ट पर दुर्लभ जीवों की तस्करी का भंडाफोड़, कस्टम विभाग ने भारतीय नागरिक को किया गिरफ्तार
मुंबई एयरपोर्ट पर दुर्लभ जीवों की तस्करी का भंडाफोड़, कस्टम विभाग ने भारतीय नागरिक को किया गिरफ्तार
Jagran Desk

छत्रपति शिवाजी महाराज अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर कस्टम विभाग ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए दुर्लभ और संरक्षित प्रजातियों की तस्करी की कोशिश को विफल कर दिया है। विभाग ने थाईलैंड से लौटे एक भारतीय युवक को हिरासत में लिया है, जिसके पास से कुल 52 जीवित और मृत दुर्लभ जीव बरामद किए गए। मामला वन्यजीव सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय तस्करी से जुड़ा होने के कारण इसे गंभीरता से लिया जा रहा है।
कस्टम अधिकारियों के मुताबिक, गिरफ्तार युवक 31 मई को थाई एयरवेज की फ्लाइट TG317 से मुंबई पहुंचा था। उसकी गतिविधियों पर पहले से ही शक था, और एयरपोर्ट पर पूछताछ के दौरान जब अधिकारी सतर्क हुए तो उसके सामान की तलाशी ली गई। जांच में जो खुलासा हुआ, वह चौंकाने वाला था—युवक के बैग में संरक्षित और प्रतिबंधित जीवों की तस्करी की जा रही थी।
क्या-क्या हुआ बरामद?
-
स्पाइडर टेल्ड हॉर्न्ड वाइपर (Pseudocerastes urarachnoides) – 3 जीवित सांप, जो CITES परिशिष्ट-II और भारत के वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची-IV में सूचीबद्ध हैं।
-
एशियन लीफ टर्टल (Cyclemys dentata) – 5 जीवित कछुए, जो भी उपरोक्त दोनों श्रेणियों में आते हैं।
-
इंडोनेशियन पिट वाइपर (Trimeresurus insularis) – 44 सांप, जिनमें 43 जीवित और 1 मृत पाया गया। यह प्रजाति फिलहाल CITES सूची में नहीं है, लेकिन इनकी अंतरराष्ट्रीय तस्करी चिंताजनक मानी जाती है।
कस्टम एक्ट के तहत मामला दर्ज
कस्टम विभाग ने आरोपी के खिलाफ कस्टम अधिनियम, 1962 की धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया है। विभाग का मानना है कि यह तस्करी एक अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क से जुड़ी हो सकती है, जिसकी जांच अभी जारी है।
आरोपी से हो रही गहन पूछताछ
सूत्रों के अनुसार, आरोपी युवक से यह जानने की कोशिश की जा रही है कि वह इन जीवों को कहां से लाया था और भारत में इनका क्या उपयोग होने वाला था। अधिकारियों को शक है कि इस रैकेट में और भी लोग शामिल हो सकते हैं, जिनकी तलाश की जा रही है।
वन्यजीव तस्करी पर कड़ा रुख
यह मामला देश में वन्यजीव तस्करी के बढ़ते खतरे को उजागर करता है। संरक्षण की दृष्टि से गंभीर इन मामलों में सख्त कार्रवाई की जरूरत है ताकि दुर्लभ प्रजातियों की रक्षा सुनिश्चित की जा सके।