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पांच साल बाद फिर खुलेगा कैलाश मानसरोवर का मार्ग, जून 2025 से होगी यात्रा की शुरुआत
Jagran Desk

कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए श्रद्धालुओं का लंबा इंतजार अब खत्म होने जा रहा है। विदेश मंत्रालय ने शनिवार, 26 अप्रैल को औपचारिक घोषणा करते हुए बताया कि ‘कैलाश मानसरोवर यात्रा 2025’ जून से अगस्त के बीच आयोजित की जाएगी। कोविड-19 महामारी के चलते पांच वर्षों से रुकी इस आध्यात्मिक यात्रा का पुनः आरंभ होना श्रद्धालुओं के लिए बड़ी खुशखबरी है।
यात्रा का संचालन भारत सरकार के विदेश मंत्रालय और उत्तराखंड सरकार के संयुक्त प्रयासों से किया जाएगा। मंत्रालय के अनुसार, इस वर्ष उत्तराखंड के लिपुलेख दर्रे से पांच बैच और सिक्किम के नाथू ला दर्रे से दस बैच यात्रियों को कैलाश मानसरोवर तक पहुंचाएंगे। प्रत्येक बैच में 50 यात्री शामिल होंगे। आवेदन प्रक्रिया के लिए वेबसाइट http://kmy.gov.in खोली जा चुकी है, जहां से इच्छुक यात्री पंजीकरण कर सकते हैं।
मार्ग और बैच में बदलाव पर रहेगी सख्ती
विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि एक बार बैच और मार्ग तय हो जाने के बाद उसमें बदलाव आमतौर पर संभव नहीं होगा। हालांकि, विशेष परिस्थितियों में यदि रिक्त स्थान उपलब्ध रहे तो परिवर्तन का अनुरोध किया जा सकता है, लेकिन अंतिम निर्णय मंत्रालय का ही मान्य होगा।
बढ़ी यात्रा लागत, 56 हजार रुपए होंगे देने
इस बार श्रद्धालुओं को यात्रा प्रबंधन के लिए कुमाऊं मंडल विकास निगम (केएमवीएन) को 56 हजार रुपए का भुगतान करना होगा, जो कि पहले 35 हजार रुपए था। इस राशि में यात्रियों के आवागमन, आवास और भोजन की व्यवस्था शामिल होगी। इसके अतिरिक्त मेडिकल जांच, वीजा शुल्क, कुली सेवा और तिब्बत क्षेत्र में अन्य खर्च श्रद्धालुओं को अलग से वहन करने होंगे।
यात्रा का विस्तृत कार्यक्रम
यात्रा दिल्ली से आरंभ होकर उत्तराखंड के टनकपुर, धारचूला, गुंजी और नाभीढांग होते हुए चीन के तकलाकोट पहुंचेगी। पहला दल 10 जुलाई को चीन में प्रवेश करेगा, जबकि अंतिम दल 22 अगस्त को भारत लौटेगा। प्रत्येक बैच की यात्रा कुल 22 दिनों की होगी, जिसमें लौटते समय बूंदी, चौकोड़ी और अल्मोड़ा में विश्राम भी शामिल है।
कोविड के कारण रुकी थी यात्रा, अब फिर से मिली मंजूरी
गौरतलब है कि वर्ष 2020 से कोविड महामारी के कारण कैलाश मानसरोवर यात्रा स्थगित थी। पांच वर्षों के लंबे अंतराल के बाद इस यात्रा का पुनः आरंभ भारत-चीन संबंधों में सुधार की दिशा में एक सकारात्मक संकेत भी माना जा रहा है। दोनों देशों ने हाल ही में सीमा विवाद के कई मुद्दों पर समाधान निकाला है, जिससे यात्रा की राह फिर से आसान हुई है।
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