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भारत माला प्रोजेक्ट घोटाला: पति-पत्नी समेत चार गिरफ्तार, 1 मई तक EOW रिमांड पर भेजे गए
Raipur, cg

भारतमाला परियोजना के तहत जमीन अधिग्रहण में हुए 43 करोड़ रुपए से ज्यादा के घोटाले में ACB-EOW ने शनिवार को बड़ी कार्रवाई की। उमा तिवारी, केदार तिवारी, विजय जैन और हरमीत सिंह खनूजा को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट ने चारों आरोपियों को 1 मई तक पुलिस रिमांड पर भेज दिया है। पूछताछ में मुआवजा राशि के गबन की पूरी साजिश उजागर होने की उम्मीद है।
2 करोड़ रुपये अवैध रूप से हड़पने का आरोप
पति-पत्नी उमा और केदार तिवारी पर दूसरे व्यक्ति के नाम पर 2 करोड़ रुपये मुआवजा राशि अवैध रूप से लेने का आरोप है। वहीं, हरमीत सिंह खनूजा पर कई किसानों की मुआवजा राशि हड़पने और विजय जैन पर अधिग्रहण की राशि गलत तरीके से प्राप्त करने के आरोप लगे हैं।
अफसरों के ठिकानों पर भी छापेमारी
शुक्रवार को EOW ने छत्तीसगढ़ के रायपुर, महासमुंद, दुर्ग और बिलासपुर में 17 से अधिक अधिकारियों और कर्मचारियों के ठिकानों पर छापेमारी की थी। इसमें SDM, तहसीलदार, पटवारी और राजस्व निरीक्षकों सहित कई राजस्व विभाग के अधिकारी शामिल थे। दस्तावेज जब्त कर आगे की जांच की जा रही है।
क्या है भारतमाला परियोजना?
भारत सरकार की भारतमाला योजना के तहत देशभर में नए राष्ट्रीय राजमार्गों का निर्माण और अधूरे प्रोजेक्ट्स को पूरा किया जा रहा है। इसी योजना के तहत रायपुर से विशाखापट्टनम तक करीब 463 किमी लंबी फोरलेन सड़क बनाई जा रही है।
ऐसे हुआ 43 करोड़ का घोटाला
जांच में सामने आया कि जमीन के टुकड़े कर और फर्जी दस्तावेज तैयार कर मुआवजा राशि में गड़बड़ी की गई। लगभग 29.5 करोड़ रुपये की जमीन को 78 करोड़ रुपये का दिखाकर मुआवजा लिया गया। अफसरों और भू-माफिया के गठजोड़ ने बैक डेट में दस्तावेज बनाकर घोटाले को अंजाम दिया।
दैनिक भास्कर डिजिटल की रिपोर्ट के बाद कोरबा के डिप्टी कलेक्टर शशिकांत कुर्रे और जगदलपुर निगम कमिश्नर निर्भय साहू को सस्पेंड किया गया था। इनके खिलाफ करीब 43 करोड़ 18 लाख रुपये की गड़बड़ी के आरोप हैं।
जमीन के छोटे-छोटे टुकड़े कर बढ़ाई गई कीमत
राजस्व विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक, अभनपुर क्षेत्र के नायकबांधा और उरला गांवों में 4 एकड़ जमीन को छोटे-छोटे टुकड़ों में बांटकर 159 खसरे बना दिए गए। रिकॉर्ड में 80 नए नाम जोड़कर जमीन की कीमत 29.5 करोड़ से बढ़ाकर 78 करोड़ कर दी गई। अभनपुर बेल्ट में 9.38 किमी सड़क के लिए 324 करोड़ रुपये मुआवजा निर्धारित था, जिसमें से 246 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है, जबकि 78 करोड़ का भुगतान फिलहाल रोक दिया गया है।
बैक डेट में फर्जीवाड़े की पुष्टि
जांच रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि अधिकारियों ने जमीन सर्वे से ठीक पहले दस्तावेजों में हेरफेर कर एक ही परिवार के 14 सदस्यों के नाम पर जमीन बांटी और करीब 70 करोड़ रुपये का मुआवजा भुगतान करा दिया। इस पूरी कार्यप्रणाली को रिपोर्ट में साफ तौर पर उल्लेखित किया गया है।
NHAI ने भी उठाई थी आपत्ति
रायपुर-विजाग इकोनॉमिक कॉरिडोर में हुई इस वित्तीय अनियमितता पर NHAI अधिकारियों ने भी आपत्ति जताई थी। इसके बाद सचिव राजस्व विभाग को रिपोर्ट भेजी गई और मुआवजा वितरण तत्काल रोक दिया गया था।
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