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नई दिल्ली में ऐतिहासिक सम्मेलन, 40 देशों के राजदूत शामिल
Jagran Desk

भारत की राजधानी में स्थित यूनाइटेड स्टेट इंस्टीट्यूट आर्मी रिसर्च सेंटर में आयोजित "रक्षा-मंथन" राष्ट्रीय कॉन्फ़्रेंस ने देश की रणनीतिक सोच और सांस्कृतिक दृष्टिकोण को वैश्विक मंच पर दमदार तरीके से प्रस्तुत किया। यह सम्मेलन अब तक का सबसे बड़ा और प्रभावशाली रक्षा-संबंधी आयोजन बन गया, जिसमें 40 से अधिक देशों के राजदूत, भारत सरकार के मंत्री, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश, वरिष्ठ सैन्य अधिकारी, नीति-निर्माता और 400 से अधिक विषय विशेषज्ञों ने भाग लिया।
इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का नेतृत्व रुद्राक्ष अनेजा, धर्म प्रकाश ठाकुर और उनकी टीम ने किया। आयोजन को एक रणनीतिक उपलब्धि बताते हुए उन्होंने सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया और इसे राष्ट्रहित में निर्णायक पहल बताया।
कॉन्फ़्रेंस की मुख्य वक्ता भारत सरकार की पूर्व विदेश राज्य मंत्री एवं सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ अधिवक्ता मीनाक्षी लेखी रहीं। उन्होंने भारत की विदेश नीति, सुरक्षा रणनीतियों और सांस्कृतिक कूटनीति पर विचार साझा करते हुए भारत को "नए वैश्विक नेतृत्व का केंद्र" बताया।
विशिष्ट अतिथि गिरीश शर्मा ने इस आयोजन को भारत की सांस्कृतिक शक्ति और रक्षा नीति का परिचायक बताया। उन्होंने कहा,
"यह मंच केवल सैन्य दृष्टिकोण ही नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत को भी अंतरराष्ट्रीय समुदाय के समक्ष स्थापित करता है।"
वैश्विक प्रतिनिधियों का भारत की रणनीतिक सोच को समर्थन
सम्मेलन में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीशों, रक्षा विशेषज्ञों और अन्य अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधियों के साथ विशेष संवाद सत्र आयोजित किए गए, जिनमें वैश्विक सुरक्षा, भारत की सैन्य भूमिका, न्यायिक दृष्टिकोण और संस्कृति-आधारित कूटनीति पर चर्चा हुई।
विदेशी प्रतिनिधियों ने भारत के ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ जैसे मूल्यों और मूल्य-आधारित विदेश नीति की सराहना करते हुए कहा कि भारत की रणनीतिक सोच महज़ सैन्य या आर्थिक शक्ति पर नहीं, बल्कि सभ्यता और संस्कृति की गहरी समझ पर आधारित है।
रणनीति और संस्कृति का संगम
“रक्षा-मंथन” सम्मेलन ने भारत की आत्मनिर्भर रक्षा नीति और सांस्कृतिक नेतृत्व क्षमता को प्रभावशाली रूप में विश्व समुदाय के सामने प्रस्तुत किया। यह आयोजन न केवल एक विचार मंच रहा, बल्कि नीति-निर्माण की दिशा में एक ठोस और दूरदर्शी पहल साबित हुआ।