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सीतारमण की बैंक मीटिंग आज: लोन वितरण और सरकारी योजनाओं की प्रगति पर होगी समीक्षा
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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज 27 जून, शुक्रवार को देश के सभी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSBs) के प्रमुखों के साथ अहम बैठक करेंगी।
इस मीटिंग में बैंकों के वित्तीय प्रदर्शन, ऋण वितरण, और केंद्र सरकार की विभिन्न जन-कल्याणकारी योजनाओं की प्रगति की समीक्षा की जाएगी।
सरकारी सूत्रों के अनुसार, वित्त मंत्री बैंकों से उत्पादक क्षेत्रों में ऋण प्रवाह बढ़ाने का सीधा आग्रह कर सकती हैं, ताकि धीमी पड़ती अर्थव्यवस्था को गति मिल सके।
क्या है बैठक का उद्देश्य?
इस मीटिंग में निम्नलिखित मुख्य मुद्दों पर चर्चा की जा सकती है:
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उत्पादक क्षेत्रों (MSME, इंफ्रास्ट्रक्चर, एग्रीकल्चर आदि) को अधिक ऋण मुहैया कराना
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जनधन, मुद्रा, किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) जैसी प्रमुख योजनाओं की प्रगति की समीक्षा
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सामाजिक सुरक्षा योजनाओं जैसे—
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प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (PMJJBY)
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प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (PMSBY)
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अटल पेंशन योजना (APY)—की स्थिति पर अपडेट
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ग्रामीण और कमजोर वर्गों तक वित्तीय सेवाओं की पहुंच सुनिश्चित करना
रेपो रेट में कटौती के बाद पहली समीक्षा
यह मीटिंग ऐसे समय हो रही है जब हाल ही में RBI की मौद्रिक नीति समिति ने रेपो रेट को 50 बेसिस पॉइंट घटाकर 5.5% कर दिया है। इसके साथ ही CRR (कैश रिजर्व रेश्यो) में भी 100 बेसिस पॉइंट की कटौती की गई है, जिससे बैंकिंग सिस्टम में करीब 2.5 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त नकदी आ गई है। इस फैसले के बाद यह पहली बार है जब वित्त मंत्री बैंक प्रमुखों से प्रत्यक्ष संवाद कर रही हैं।
बैंकों का मुनाफा रिकॉर्ड स्तर पर
पब्लिक सेक्टर बैंकों ने मार्च 2025 में समाप्त वित्त वर्ष में 1.78 लाख करोड़ रुपये का रिकॉर्ड लाभ दर्ज किया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 26% अधिक है।
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FY2024 में इन बैंकों का संयुक्त लाभ 1.41 लाख करोड़ रुपये था।
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सबसे बड़ा योगदान भारतीय स्टेट बैंक (SBI) का रहा, जिसने अकेले 70,901 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ कमाया, जो FY24 की तुलना में 16% अधिक है।
यह भी अहम
वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही में GDP ग्रोथ 6.5% तक गिर गई है, जो पिछले चार वर्षों का न्यूनतम स्तर है। ऐसे में सरकार वित्तीय संस्थानों से यह अपेक्षा कर रही है कि वे अधिक सक्रिय भूमिका निभाएं और क्रेडिट फ्लो के ज़रिए आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करें।
आज की बैठक में यह देखा जाएगा कि बैंक वित्तीय स्थिरता को बनाए रखते हुए कैसे सरकारी एजेंडों को आगे बढ़ा सकते हैं। साथ ही, बैंकों को यह संकेत भी मिल सकता है कि आने वाले समय में वित्तीय समावेशन और सामाजिक सुरक्षा के क्षेत्र में उन्हें और आक्रामक रणनीति अपनानी होगी।