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पर्सनल लोन में तेज उछाल: 6 महीनों में 23% की बढ़ोतरी, नए क्रेडिट कार्ड जारी होने में 28% गिरावट
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JM Financial की रिपोर्ट में खुलासा, उपभोक्ता कर्ज में बदलाव; स्थिर आय और मजबूत क्रेडिट प्रोफाइल वाले लोग ही ज्यादा उधार ले रहे
देश में उपभोक्ता कर्ज के रुझानों में बड़ा बदलाव सामने आया है। अप्रैल से सितंबर 2025 के बीच पर्सनल लोन में 23 प्रतिशत की सालाना बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जबकि एक साल पहले इसी अवधि में इस सेगमेंट में करीब 3 प्रतिशत तक गिरावट देखी गई थी। यह जानकारी JM Financial की हालिया रिपोर्ट में सामने आई है। रिपोर्ट के अनुसार, खपत आधारित बैंक लोन में सुस्ती के बाद अब दोबारा मजबूती के संकेत मिल रहे हैं।
रिपोर्ट बताती है कि क्रेडिट कार्ड को छोड़कर लगभग सभी कंज्यूमर लोन सेगमेंट में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। अप्रैल-सितंबर की छह महीने की अवधि में विभिन्न उपभोक्ता कर्ज श्रेणियों में 6 प्रतिशत से लेकर 23 प्रतिशत तक की ग्रोथ रही। इसके उलट, वित्त वर्ष 2024-25 में यही ग्रोथ दर -3 प्रतिशत से 11 प्रतिशत के बीच सीमित थी।
जुलाई-सितंबर तिमाही में पर्सनल लोन में 35% उछाल
अनसिक्योर्ड लोन कैटेगरी में पर्सनल लोन सबसे तेजी से बढ़ने वाला सेगमेंट बनकर उभरा है। चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में पर्सनल लोन वितरण जहां 23 प्रतिशत बढ़ा, वहीं जुलाई-सितंबर तिमाही में इसमें सालाना आधार पर 35 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई। यह वृद्धि बैंकिंग सेक्टर के लिए सकारात्मक संकेत मानी जा रही है।
कंज्यूमर ड्यूरेबल लोन में भी उल्लेखनीय सुधार देखा गया है। टीवी, फ्रिज, मोबाइल और अन्य घरेलू इलेक्ट्रॉनिक्स से जुड़े लोन का वितरण, जो पिछले वित्त वर्ष में केवल 3 प्रतिशत बढ़ा था, जुलाई-सितंबर तिमाही में बढ़कर 19 प्रतिशत तक पहुंच गया। इस सेगमेंट में प्राइवेट बैंकों का मार्केट शेयर भी बढ़ा है।
क्रेडिट कार्ड सेगमेंट में सुस्ती बरकरार
जहां एक ओर पर्सनल और कंज्यूमर ड्यूरेबल लोन में तेजी आई है, वहीं क्रेडिट कार्ड सेगमेंट में सुस्ती बनी हुई है। रिपोर्ट के मुताबिक, अप्रैल से सितंबर के बीच नए क्रेडिट कार्ड जारी होने की संख्या में 28 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। यह गिरावट संकेत देती है कि उपभोक्ता रिवॉल्विंग क्रेडिट की बजाय टर्म लोन को प्राथमिकता दे रहे हैं।
कौन ले रहा है ज्यादा कर्ज
विशेषज्ञों के अनुसार, पर्सनल लोन में बढ़ोतरी का यह मतलब नहीं है कि लोग खर्च चलाने के लिए मजबूरी में कर्ज ले रहे हैं। बल्कि यह खपत के तरीके में बदलाव का संकेत है। बैंक और वित्तीय संस्थाएं अब छोटी राशि के इमरजेंसी लोन की बजाय बड़ी रकम के पर्सनल लोन ज्यादा दे रही हैं।
इसका सीधा अर्थ यह है कि वही लोग कर्ज ले रहे हैं जिनकी आय स्थिर है, नौकरी सुरक्षित है और क्रेडिट हिस्ट्री मजबूत है। कमजोर प्रोफाइल वाले उधारकर्ताओं के लिए अभी भी क्रेडिट शर्तें सख्त बनी हुई हैं।
JM Financial का मानना है कि यह ट्रेंड अगले वित्त वर्ष के लिए सकारात्मक संकेत देता है। यदि आर्थिक स्थिरता बनी रहती है और रोजगार की स्थिति में सुधार जारी रहता है, तो उपभोक्ता कर्ज में यह गति आगे भी बनी रह सकती है। हालांकि, क्रेडिट कार्ड सेगमेंट की सुस्ती पर बैंकिंग सेक्टर की नजर बनी हुई है।
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