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भोपाल में फर्जी अटेंडेंस पर सख्त कार्रवाई, दो डॉक्टरों का एक माह का वेतन रोका
भोपाल (म.प्र.)
सार्थक ऐप की जांच में खुलासा—एक डॉक्टर ने 500 किमी दूर से लगाई हाजिरी, दूसरे की उपस्थिति में अलग-अलग चेहरे दर्ज
भोपाल में मुख्यमंत्री संजीवनी क्लिनिक से जुड़े दो चिकित्सकों द्वारा फर्जी उपस्थिति दर्ज कराने का मामला सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने सख्त कदम उठाया है। जांच में यह पाया गया कि एक डॉक्टर ने अपने कार्यस्थल से करीब 500 किलोमीटर दूर रहते हुए मोबाइल एप के माध्यम से हाजिरी लगाई, जबकि दूसरे चिकित्सक की उपस्थिति में अलग-अलग व्यक्तियों के चेहरे दर्ज मिले। मामले की पुष्टि होते ही दोनों डॉक्टरों का एक माह का वेतन काटने के आदेश जारी कर दिए गए हैं।
यह अनियमितता सीएमएचओ कार्यालय द्वारा की जा रही नियमित समीक्षा के दौरान उजागर हुई। हाल के दिनों में स्वास्थ्य विभाग ‘सार्थक ऐप’ के जरिए दर्ज हो रही डिजिटल उपस्थिति पर विशेष निगरानी रख रहा है। इसी प्रक्रिया में कुछ एंट्री संदिग्ध पाई गईं, जिनमें लोकेशन डेटा और फोटो वेरिफिकेशन आपस में मेल नहीं खा रहे थे।
पहला मामला मुख्यमंत्री संजीवनी क्लिनिक, बाग मुगलिया में पदस्थ चिकित्सक डॉ. मिनहाज से जुड़ा है। जांच में पाया गया कि उनकी अटेंडेंस एंट्री में अलग-अलग चेहरों की तस्वीरें अपलोड हुई थीं। इससे यह संदेह गहराया कि उपस्थिति किसी अन्य व्यक्ति के जरिए दर्ज कराई गई या फिर तकनीकी प्रक्रिया का दुरुपयोग किया गया।
दूसरा मामला मुख्यमंत्री संजीवनी क्लिनिक, गौतम नगर के चिकित्सा अधिकारी डॉ. संजीव सिंह का है। उनके रिकॉर्ड में यह स्पष्ट हुआ कि उन्होंने अपने निर्धारित कार्यस्थल से लगभग 500 किलोमीटर दूर रहते हुए उपस्थिति दर्ज की। इसके अलावा उनकी नियमित हाजिरी भी रोजाना क्लिनिक से करीब 11 किलोमीटर दूर की लोकेशन से लगाई जा रही थी।
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार यह सिर्फ प्रशासनिक चूक नहीं, बल्कि मरीजों की स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़ा गंभीर विषय है। मुख्यमंत्री संजीवनी क्लिनिक का उद्देश्य शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में आम नागरिकों को समय पर और सुलभ इलाज उपलब्ध कराना है। डॉक्टरों की गैरमौजूदगी से मरीजों की जांच, परामर्श और इलाज सीधे प्रभावित होता है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी भोपाल डॉ. मनीष शर्मा ने दोनों मामलों को गंभीर अनुशासनहीनता मानते हुए एक-एक माह का वेतन काटने के आदेश दिए हैं। साथ ही दोनों चिकित्सकों को कारण बताओ नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है। विभाग ने संकेत दिए हैं कि संतोषजनक जवाब न मिलने पर आगे और कड़ी कार्रवाई भी की जा सकती है।
सीएमएचओ कार्यालय ने स्पष्ट किया है कि ‘सार्थक ऐप’ की निगरानी आगे भी जारी रहेगी और किसी भी स्तर पर नियमों से समझौता नहीं किया जाएगा। अधिकारियों का कहना है कि तकनीक का उद्देश्य व्यवस्था को पारदर्शी बनाना है, न कि उसका दुरुपयोग। इस कार्रवाई को स्वास्थ्य विभाग में अनुशासन और जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में अहम कदम माना जा रहा है।
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