आर्थिक बदहाली के बीच पाकिस्तान का बड़ा फैसला: ब्याज दरों में कटौती, आम लोगों की EMI होगी कम

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साल के अंत में पाकिस्तान की जनता को कुछ राहत देने की कोशिश की गई है। देश के केंद्रीय बैंक ने नीतिगत ब्याज दर में 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती का ऐलान किया है, जिसके बाद प्रमुख ब्याज दर घटकर 10.5 प्रतिशत रह गई है। इस फैसले से कर्ज पर चल रही EMI का बोझ कुछ हद तक कम होने की उम्मीद जताई जा रही है।

चार लगातार बैठकों तक ब्याज दरों में कोई बदलाव न करने के बाद यह फैसला लिया गया है, जिसे विशेषज्ञों ने अप्रत्याशित कदम बताया है। केंद्रीय बैंक के मुताबिक, इस कटौती का उद्देश्य अर्थव्यवस्था को रफ्तार देना और महंगाई को तय दायरे में बनाए रखना है।


विशेषज्ञों के अनुमान के उलट आया फैसला

अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसियों द्वारा किए गए सर्वे में शामिल सभी विश्लेषकों का मानना था कि स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान ब्याज दरों को 11 प्रतिशत पर ही स्थिर रखेगा। खासतौर पर तब, जब अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने पाकिस्तान को समय से पहले दरों में ढील न देने की सलाह दी थी।

इसके बावजूद केंद्रीय बैंक ने कहा कि मौजूदा वास्तविक ब्याज दर महंगाई पर नियंत्रण बनाए रखने के लिए पर्याप्त है, बशर्ते सरकार की वित्तीय नीतियां और संरचनात्मक सुधार एक साथ आगे बढ़ते रहें।


महंगाई फिलहाल काबू में, लेकिन खतरा बरकरार

केंद्रीय बैंक के अनुसार वित्त वर्ष 2026 के जुलाई से नवंबर के बीच औसत महंगाई दर 5 से 7 प्रतिशत के लक्ष्य के भीतर रही है। हालांकि, कोर इंफ्लेशन में ज्यादा नरमी नहीं दिखी है।

बैंक ने यह भी संकेत दिया कि कुछ तकनीकी और गणनात्मक कारणों से वित्त वर्ष 2026 के अंत में महंगाई अस्थायी रूप से बढ़ सकती है, लेकिन अगले वित्त वर्ष में इसके फिर से लक्ष्य के करीब लौटने की संभावना है।


उद्योगों में तेजी से बढ़ी आर्थिक गतिविधि

स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान का कहना है कि देश की आर्थिक गतिविधियों में सुधार के संकेत मिलने लगे हैं। बड़े औद्योगिक क्षेत्रों में उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन ने विकास को गति दी है।

इसी आधार पर बैंक ने वित्त वर्ष 2026 के लिए आर्थिक विकास दर का अनुमान 3.25 से 4.25 प्रतिशत के ऊपरी स्तर पर बनाए रखा है, हालांकि वैश्विक अनिश्चितताओं को लेकर सतर्कता भी जताई गई है।


22% से 10.5% तक: लंबा सफर

पाकिस्तान में 2023 के दौरान ब्याज दरें 22 प्रतिशत के रिकॉर्ड उच्च स्तर तक पहुंच गई थीं। मौजूदा कटौती के बाद अब तक कुल 1,150 बेसिस प्वाइंट की राहत दी जा चुकी है।

जून 2024 से मई 2025 के बीच ही केंद्रीय बैंक ने 1,100 बेसिस प्वाइंट की कटौती की थी, जिसके बाद चार बैठकों तक दरें स्थिर रखी गई थीं। बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि ताजा फैसला आर्थिक गतिविधियों को मजबूती देने की मंशा को दर्शाता है।


विदेशी मुद्रा भंडार से बढ़ा भरोसा

आईएमएफ कार्यक्रम की समीक्षा पूरी होने के बाद पाकिस्तान को 1.2 अरब डॉलर की राशि मिली, जिससे विदेशी मुद्रा भंडार बढ़कर 15.8 अरब डॉलर से अधिक हो गया है।

केंद्रीय बैंक का अनुमान है कि यदि विदेशी फंडिंग तय योजना के मुताबिक मिलती रही, तो जून 2026 तक यह भंडार 17.8 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि इसी बेहतर स्थिति ने ब्याज दरों में कटौती का रास्ता साफ किया।


IMF की चेतावनी अब भी कायम

हाल ही में आई IMF की रिपोर्ट में पाकिस्तान को समय से पहले मौद्रिक ढील देने को लेकर आगाह किया गया था। रिपोर्ट में कहा गया था कि नीतिगत फैसले ठोस आंकड़ों के आधार पर ही लिए जाने चाहिए, ताकि महंगाई की उम्मीदें नियंत्रण में रहें और विदेशी निवेशकों का भरोसा बना रहे।

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