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रायपुर में कैल्शियम सिरप विवाद: 10 दिन बाद भी जांच अधर में
CG
दवा की बोतल में मांस जैसा टुकड़ा मिलने के 10 दिन बाद भी रिपोर्ट लंबित, कार्रवाई पर सस्पेंस
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के देवपुरी स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से जुड़ा कैल्शियम सिरप विवाद अब सवालों के घेरे में है। सिरप की बोतल में मांस जैसा टुकड़ा मिलने की घटना को सामने आए दस दिन बीत चुके हैं, लेकिन अब तक न तो जांच रिपोर्ट सार्वजनिक हुई है और न ही संबंधित दवा कंपनी के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई हुई है। मामले में देरी ने स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर भी प्रश्नचिह्न लगा दिए हैं।
यह मामला तब उजागर हुआ था, जब देवपुरी निवासी गर्भवती महिला देविका साहू को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से दिया गया कैल्शियम सिरप संदिग्ध पाया गया। महिला ने बताया कि सिरप पीते समय उसकी गंध और स्वाद असामान्य लगे। दो बार ऐसा महसूस होने पर परिजनों ने बोतल को ध्यान से देखा, जिसमें लाल-भूरे रंग का ठोस टुकड़ा तैरता नजर आया। इसके बाद परिवार ने तत्काल स्वास्थ्य केंद्र में शिकायत दर्ज कराई।
48 सैंपल जब्त, लेकिन रिपोर्ट अब तक नहीं
मामले की गंभीरता को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने संबंधित बैच की दवा की खरीदी और वितरण पर रोक जरूर लगाई, लेकिन आगे की प्रक्रिया धीमी पड़ गई। औषधि विभाग ने उसी बैच की 48 शीशियां जब्त कर लैब जांच के लिए भेजीं। यह कैल्शियम सिरप कैलसिड कंपनी का बताया जा रहा है, जिसकी खरीदी सीएमएचओ कार्यालय स्तर पर की गई थी।
सूत्रों के मुताबिक, यह सिरप रायपुर जिले के लगभग सभी प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में सप्लाई किया गया था। जांच पूरी होने तक जिलेभर में इस सिरप के उपयोग पर रोक है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि संदिग्ध पदार्थ क्या था और क्या अन्य बोतलों में भी ऐसी ही गड़बड़ी मौजूद थी।
कार्रवाई पर असमंजस, जिम्मेदारी तय नहीं
अब तक न तो दवा कंपनी से कोई जवाब सार्वजनिक किया गया है और न ही किसी अधिकारी की जवाबदेही तय हुई है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि सिरप में मिला पदार्थ जैविक या दूषित पाया गया, तो यह गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य जोखिम का मामला बन सकता है, खासकर गर्भवती महिलाओं और बच्चों के लिए।
स्वास्थ्य विभाग का तर्क है कि बिना रिपोर्ट के किसी निष्कर्ष पर पहुंचना जल्दबाजी होगी। हालांकि, सवाल यह भी उठ रहा है कि लैब रिपोर्ट आने में इतनी देरी क्यों हो रही है, जबकि मामला सीधे मरीजों की सुरक्षा से जुड़ा है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी मिथलेश चौधरी ने कहा कि सभी सैंपल जांच के लिए भेजे जा चुके हैं। रिपोर्ट मिलते ही स्थिति स्पष्ट होगी और उसी के आधार पर आगे की कार्रवाई तय की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि फिलहाल एहतियातन संबंधित बैच के उपयोग पर पूरी तरह रोक है।
अब निगाहें जांच रिपोर्ट पर टिकी हैं। रिपोर्ट से ही यह तय होगा कि यह निर्माण में लापरवाही थी, सप्लाई के दौरान गड़बड़ी या किसी स्तर पर मिलावट। तब तक यह मामला पब्लिक इंटरेस्ट स्टोरी के रूप में बना हुआ है और जवाबदेही की मांग तेज हो रही है।
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