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2025 में IPO बाजार का खेल बदला, अब बड़े इश्यू बना रहे निवेशकों को मालामाल
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छोटे IPO का क्रेज घटा, मेगा साइज ऑफर दे रहे हैं बेहतर लिस्टिंग रिटर्न
भारत के IPO बाजार में साल 2025 के दौरान एक साफ बदलाव देखने को मिल रहा है। लंबे समय तक यह धारणा रही कि छोटे IPO में तेजी से मुनाफा कमाया जा सकता है, लेकिन मौजूदा साल के आंकड़े इस सोच को चुनौती दे रहे हैं। अब निवेशकों को लिस्टिंग के दिन सबसे ज्यादा फायदा ₹5,000 करोड़ या उससे बड़े IPO में देखने को मिल रहा है।
आंकड़ों ने पलटी पुरानी धारणा
मार्केट डेटा के विश्लेषण से पता चलता है कि बड़े और मेगा साइज IPO ने औसतन 20% से ज्यादा लिस्टिंग गेन दिया है, जबकि ₹1,000 करोड़ से छोटे IPO का औसत रिटर्न 8% से भी कम रहा। यानी, बड़े IPO ने छोटे इश्यू की तुलना में करीब तीन गुना बेहतर प्रदर्शन किया है।
इस ट्रेंड ने रिटेल निवेशकों की रणनीति को पूरी तरह बदल दिया है।
ब्रांड और स्केल बना रहे फर्क
विशेषज्ञों का मानना है कि मजबूत ब्रांड, बड़ा बिजनेस स्केल और स्थापित रेवेन्यू मॉडल वाले IPO में निवेशकों का भरोसा ज्यादा होता है।
LG Electronics India, Meesho, Groww और HDB Financial Services जैसे बड़े नामों के IPO ने दिखा दिया कि मजबूत फंडामेंटल्स लिस्टिंग के दिन स्थिरता और तेजी दोनों दे सकते हैं।
छोटे IPO क्यों पिछड़ रहे हैं?
2025 में कमजोर लिस्टिंग वाले कई IPO ऐसे रहे, जिनका साइज ₹1,000 करोड़ से कम था।
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कुछ IPO मुश्किल से इश्यू प्राइस के आसपास टिक पाए
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कुछ मामलों में लिस्टिंग के साथ ही तेज गिरावट देखी गई
कम ब्रांड वैल्यू, सीमित निवेशक रुचि और कमजोर लिक्विडिटी छोटे IPO के लिए बड़ी चुनौती बन रही है।
Institutional Investors की अहम भूमिका
बड़े IPO में FII और DII की मजबूत मौजूदगी एक बड़ा फैक्टर बनकर उभरी है।
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बड़े इश्यू में एंकर निवेशक पहले से जुड़े रहते हैं
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प्राइस डिस्कवरी ज्यादा संतुलित रहती है
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लिस्टिंग के बाद स्टॉक में अनावश्यक उतार-चढ़ाव कम होता है
यही वजह है कि रिटेल निवेशक भी अब बड़े IPO को ज्यादा सुरक्षित मानने लगे हैं।
OFS को लेकर बदली सोच
पहले ऑफर-फॉर-सेल (OFS) टैग को निवेशक नकारात्मक संकेत मानते थे, लेकिन 2025 में यह धारणा भी कमजोर पड़ी है।
इस साल ज्यादातर OFS वाले IPO ने सकारात्मक लिस्टिंग दी, जिससे यह साफ हो गया कि प्रमोटर की आंशिक हिस्सेदारी बिक्री अब निवेशकों के लिए खतरे की घंटी नहीं रही।
प्राइसिंग और क्वालिटी का संतुलन
बड़े IPO में:
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वैल्यूएशन पर कड़ी निगरानी
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मर्चेंट बैंकर और रेगुलेटर की सख्ती
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बिजनेस क्वालिटी पर ज्यादा फोकस
इन सभी कारणों से ओवरप्राइसिंग की संभावना कम हो जाती है और निवेशकों को लिस्टिंग के दिन बेहतर रिटर्न मिलता है।
क्या आगे भी जारी रहेगा यह ट्रेंड?
बाजार जानकारों का मानना है कि यह बदलाव सिर्फ एक साल का ट्रेंड नहीं, बल्कि निवेशकों के सोचने के तरीके में आया बदलाव है। अब रिटेल निवेशक:
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केवल शॉर्ट-टर्म लिस्टिंग गेन नहीं
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बल्कि स्थिरता, लिक्विडिटी और ब्रांड वैल्यू को प्राथमिकता दे रहे हैं
हालांकि विशेषज्ञ यह भी चेतावनी देते हैं कि हर बड़ा IPO अच्छा हो, यह जरूरी नहीं, इसलिए निवेश से पहले कंपनी के फंडामेंटल्स और वैल्यूएशन की जांच जरूरी है।
2025 ने IPO बाजार की दिशा बदल दी है। अब साइज, क्वालिटी और संस्थागत भरोसा—तीनों मिलकर रिटर्न तय कर रहे हैं। निवेशकों के लिए संदेश साफ है: IPO में पैसा लगाने से पहले केवल साइज नहीं, बल्कि बिजनेस की मजबूती को समझना जरूरी है।
Disclaimer:
यह लेख केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से है। इसे निवेश सलाह न माना जाए। शेयर बाजार में निवेश जोखिमों के अधीन है, निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श अवश्य करें।
