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PWD मंत्री का दो साल का रिपोर्ट कार्ड जारी: 300 करोड़ से बनेगा इंजीनियर्स ट्रेनिंग सेंटर, पर्यावरण मंजूरी पर सवाल
भोपाल (म. प्र.)
भोपाल में मीडिया के सामने PWD मंत्री राकेश सिंह ने गिनाईं उपलब्धियां, अटकी परियोजनाओं के आंकड़े नहीं कर पाए स्पष्ट
मध्यप्रदेश में मंत्रियों के दो साल पूरे होने पर रिपोर्ट कार्ड जारी करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इसी क्रम में लोक निर्माण विभाग (PWD) के मंत्री राकेश सिंह ने गुरुवार को राजधानी भोपाल में प्रेस वार्ता कर अपने विभाग का दो साल का रिपोर्ट कार्ड पेश किया। इस दौरान उन्होंने विभागीय सुधार, भविष्य की योजनाओं और अधूरी चुनौतियों को सामने रखा। हालांकि पर्यावरण अनुमति के अभाव में अटकी परियोजनाओं की संख्या को लेकर मंत्री स्पष्ट जानकारी नहीं दे सके।
मंत्री राकेश सिंह ने बताया कि प्रदेश में PWD के इंजीनियर्स के लिए अब तक कोई स्थायी और नियमित प्रशिक्षण व्यवस्था नहीं थी। इंजीनियर्स को प्रशिक्षण के लिए अन्य राज्यों या संस्थानों पर निर्भर रहना पड़ता था। इस कमी को दूर करने के लिए सरकार लगभग 300 करोड़ रुपये की लागत से एक अत्याधुनिक इंजीनियर्स ट्रेनिंग सेंटर स्थापित करने जा रही है। यह केंद्र तकनीकी दक्षता, नई निर्माण तकनीकों और गुणवत्ता नियंत्रण पर केंद्रित होगा।
उन्होंने कहा कि विभाग का लक्ष्य केवल सड़कें और भवन बनाना नहीं, बल्कि टिकाऊ और सुरक्षित इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करना है। इसी दिशा में इंजीनियर्स की क्षमता बढ़ाना आवश्यक है। मंत्री के अनुसार, ट्रेनिंग सेंटर की योजना को जल्द अंतिम रूप देकर निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा।
प्रेस वार्ता के दौरान पर्यावरण अनुमति से जुड़े सवालों पर मंत्री असहज नजर आए। जब उनसे पूछा गया कि वन और पर्यावरण मंजूरी न मिलने के कारण कितनी सड़क और निर्माण परियोजनाएं रुकी हुई हैं, तो उन्होंने कहा कि फिलहाल सटीक संख्या बता पाना संभव नहीं है। उन्होंने यह जरूर स्वीकार किया कि वन क्षेत्रों में सड़क निर्माण के दौरान वन विभाग की आपत्तियां सामने आती हैं।
राकेश सिंह ने कहा कि सरकार की कोशिश रहती है कि विकास कार्यों में पर्यावरण को न्यूनतम नुकसान हो। जहां सड़क या परियोजना से वन क्षेत्र प्रभावित होता है, वहां क्षतिपूर्ति वृक्षारोपण और अन्य पर्यावरणीय उपाय किए जाते हैं। उन्होंने आश्वासन दिया कि अटकी परियोजनाओं से जुड़ा विस्तृत डाटा बाद में साझा किया जाएगा।
मंत्री ने खराब सड़कों के मुद्दे पर भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि पूर्व में बनी कई सड़कों की गुणवत्ता को लेकर शिकायतें मिली थीं, जिन पर सुधार कार्य किए जा रहे हैं। साथ ही भविष्य में ऐसी स्थिति न बने, इसके लिए निगरानी तंत्र को मजबूत किया गया है और ठेकेदारों की जवाबदेही तय की जा रही है।
राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में इस रिपोर्ट कार्ड को विभागीय आत्ममंथन के तौर पर देखा जा रहा है। जहां एक ओर प्रशिक्षण केंद्र जैसी बड़ी घोषणा को सकारात्मक कदम माना जा रहा है, वहीं पर्यावरण स्वीकृति से जुड़े अधूरे जवाबों पर सवाल भी उठ रहे हैं।
आने वाले समय में यह देखना अहम होगा कि घोषित योजनाएं कितनी तेजी से जमीन पर उतरती हैं और क्या रुकी परियोजनाओं को लेकर सरकार पारदर्शी आंकड़े सार्वजनिक कर पाती है।
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