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सोने की डिमांड में गिरावट, ज्वैलर्स बोले- कीमतों ने बिगाड़ा ग्राहकों का मूड
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सोना हमेशा से भारतीय घरों में सुरक्षित निवेश और परंपरा का अहम हिस्सा माना जाता है। खासकर त्योहारों और शादियों के सीजन में लोग इसकी खरीदारी करते हैं। लेकिन इस बार त्योहारों के बावजूद गोल्ड की डिमांड में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है।
इंडिया बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन (IBJA) के आंकड़ों के मुताबिक, इस साल रक्षा बंधन से लेकर ओणम तक सोने की मांग पिछले साल की तुलना में 28% घटकर 50 टन रह गई है।
बढ़ती कीमतों से घटी खरीदारी
ईटी की एक रिपोर्ट के अनुसार, कोविड के बाद से सोने की कीमतों में करीब 49% की बढ़ोतरी हुई है। यही वजह है कि ग्राहक भारी आभूषणों की बजाय हल्के वजन और कम कैरेट के गहनों की ओर रुख कर रहे हैं।
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पिछले साल ओणम पर 10 ग्राम सोने की कीमत (जीएसटी समेत) करीब 74,500 रुपये थी।
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इस बार यह बढ़कर 1,10,540 रुपये प्रति 10 ग्राम तक पहुंच गई।
IBJA के नेशनल सेक्रेटरी सुरेंद्र मेहता का कहना है कि ऊंची कीमतें और बार-बार होने वाला उतार-चढ़ाव ग्राहकों को खरीदारी से रोक रहा है।
हल्के और कम कैरेट ज्वैलरी की बढ़ी डिमांड
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पहले हल्के वजन वाले गहनों का औसत वजन 7–12 ग्राम था, जो अब घटकर 7–10 ग्राम रह गया है।
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साउथ इंडिया में 22 कैरेट ज्वैलरी की परंपरा बनी हुई है, लेकिन लोग अब छोटे साइज के गहने ही खरीद रहे हैं।
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14 कैरेट के भारी डिजाइन वाले गहनों और 9 कैरेट के ज्वैलरी पीस की मांग तेजी से बढ़ी है।
कैरेटलेन के एमडी सौमेन भौमिक के अनुसार, हल्के वजन वाले गहनों की बिक्री पिछले साल की तुलना में 2.5 गुना अधिक हो चुकी है।
निवेश के तौर पर सोना अभी भी आकर्षक
हालांकि ज्वैलरी की खरीदारी घटी है, लेकिन सोने में निवेश की परंपरा अभी भी बरकरार है।
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मिडिल और लोअर-इनकम ग्रुप में 2–5 ग्राम के सिक्के और 5–10 ग्राम के गहने ज्यादा बिक रहे हैं।
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मुथूट एक्जिम के सीईओ केयूर शाह ने बताया कि जब कीमतें अचानक बढ़ जाती हैं, तो ग्राहक कम ग्राम के सिक्के खरीद लेते हैं।
आगे क्या?
त्योहारी सीजन का सबसे बड़ा चरण नवरात्रि और दिवाली के दौरान आता है। ज्वैलर्स को उम्मीद है कि इस अवधि में डिमांड कुछ हद तक सुधर सकती है। हालांकि, अगर कीमतें इसी तरह ऊंची रहीं तो त्योहारों की रौनक पर सोने की चमक फीकी पड़ सकती है।