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पितृ पक्ष में मंत्र जाप का महत्व – पूर्वजों का आशीर्वाद पाने की विधि
Dhram Desk

हिन्दू धर्म में पितृ पक्ष को अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। इसे श्राद्ध पक्ष भी कहा जाता है। यह पर्व प्रत्येक वर्ष आश्विन मास के कृष्ण पक्ष में मनाया जाता है। पितृ पक्ष का उद्देश्य अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण, श्राद्ध और पितृ पूजा करके उन्हें संतुष्ट करना है। यह 15 दिवसीय पर्व माना जाता है, जो इस विश्वास पर आधारित है कि इस दौरान पितृ लोक से पितृगण धरती पर आते हैं और अपने वंशजों का आशीर्वाद देते हैं।
कई परिवार इस अवसर पर पितृ तर्पण करते हैं, यज्ञ और विशेष श्राद्ध कर्म करते हैं। लेकिन केवल कर्म करना पर्याप्त नहीं माना जाता। इसके साथ पवित्र मंत्रों का जाप करने से पितरों की विशेष कृपा प्राप्त होती है। पितृ पक्ष में किए गए ये मंत्र न केवल पितृ दोष को समाप्त करने का कार्य करते हैं, बल्कि जीवन में सुख-समृद्धि, आरोग्यता और मानसिक शांति भी लाते हैं।
पितृ पक्ष में जाप करने वाले शक्तिशाली मंत्र
1️⃣ पितृ तर्पण मंत्र
ॐ पितृभ्यः स्वधा नमः।
इस मंत्र के जाप से पितरों की आत्मा को तर्पण अर्थात् तृप्ति मिलती है। यह सबसे सरल और प्रभावशाली मंत्र है, जिसे रोजाना किया जा सकता है।
2️⃣ पितृ शांति मंत्र
ॐ त्र्यंबकं यजामहे सुगंधिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
यह महामंत्र पितृ दोष निवारण के लिए उपयोग किया जाता है। साथ ही, यह स्वास्थ्य व समृद्धि का भी वरदान देता है।
3️⃣ श्राद्ध मंत्र
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः।
यह मंत्र भगवान विष्णु को समर्पित है। इसे जापने से पितृ पक्ष में पूजा अधिक प्रभावशाली बनती है।
4️⃣ पितृ दोष निवारण मंत्र
ॐ सर्व पितृ देवताभ्यो नमः।
इस मंत्र के जाप से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है और जीवन की परेशानियाँ दूर होती हैं।
5️⃣ गायत्री पितृ दोष निवारण मंत्र
ॐ देवताभ्यः पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च।
नमः स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नमः।
यह मंत्र विशेष रूप से पितृ दोष के प्रभाव को समाप्त करने के लिए उपयोग किया जाता है।
पितृ स्तोत्र – पितरों को समर्पित स्तुति
अर्चितानाममूर्तानां पितृणां दीप्ततेजसाम् ।
नमस्यामि सदा तेषां ध्यानिनां दिव्यचक्षुषाम्।।
यह पवित्र स्तोत्र पितरों की महिमा का बखान करता है। इसमें उनके दिव्य स्वरूप, तेजस्विता और ब्रह्मस्वरूपता का वर्णन है। पितृ स्तोत्र का उच्चारण करने से मन को शांति मिलती है, और पितृ दोष से मुक्ति प्राप्त होती है।
पितृ पक्ष में मंत्र जाप की विधि – सम्पूर्ण प्रक्रिया
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स्नान और शुद्धि
पितृ पक्ष में मंत्र जाप करने से पूर्व सूर्योदय से पहले स्नान अवश्य करें। यह आपके मन, शरीर व वातावरण को पवित्र बनाता है। -
पूजा स्थल की व्यवस्था
पूजा स्थल को अच्छी तरह से स्वच्छ करें। आसन पर कुशा अथवा ऊन का आसन बिछाएं। -
दीपक प्रज्वलित करना
घी या तिल के तेल का दीपक प्रज्वलित करें। दीपक का प्रकाश सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। -
पितरों का स्मरण
अपने पूर्वजों का आदर भाव से स्मरण करें। उनके जीवन, आशीर्वाद और त्याग को मन में सजाएं। -
मंत्र जाप करना
चयनित पितृ मंत्र का 108 बार जाप करें। यह संख्या धार्मिक परंपरा में पूर्णता का प्रतीक मानी जाती है। -
तर्पण करना
जाप समाप्ति के बाद तिल व जल से पितृ तर्पण करें। तर्पण पितरों को तृप्ति प्रदान करने का पवित्र अनुष्ठान है।
🗓️ इस प्रक्रिया को पितृ पक्ष के हर दिन या किसी विशेष तिथि पर किया जा सकता है, ताकि पितृलोक के संतोष के साथ-साथ अपने जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहे।
पितृ पक्ष में मंत्र जाप के लाभ
✔️ पितृ दोष से मुक्ति।
✔️ पूर्वजों की आत्मा की शांति।
✔️ मानसिक शांति और सकारात्मकता।
✔️ पारिवारिक सुख-समृद्धि।
✔️ स्वास्थ्य में सुधार।
✔️ कर्मों के फलों में वृद्धि।