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पंजाब विधानसभा में खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री से धक्का-मुक्की, पाकिस्तान की सियासत में फिर उबाल
अंतराष्ट्रीय न्यूज
लाहौर में विधानसभा परिसर के भीतर सुरक्षा बलों की कार्रवाई पर सवाल, वीडियो वायरल होने से राजनीतिक टकराव तेज
लाहौर में शुक्रवार को उस समय हंगामा खड़ा हो गया, जब खैबर पख्तूनख्वा (KP) के मुख्यमंत्री सोहेल अफरीदी के साथ पंजाब विधानसभा परिसर में सुरक्षाकर्मियों द्वारा कथित रूप से धक्का-मुक्की की गई। घटना का वीडियो सामने आने के बाद पाकिस्तान की राजनीति में एक बार फिर लोकतांत्रिक मर्यादाओं और संघीय ढांचे को लेकर बहस तेज हो गई है। मुख्यमंत्री अफरीदी इस दौरान अपने प्रतिनिधियों के साथ विधानसभा में प्रवेश कर रहे थे।
प्रत्यक्षदर्शियों और सामने आए वीडियो के अनुसार, मुख्यमंत्री अफरीदी जैसे ही विधानसभा भवन में आगे बढ़े, सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें रोकने की कोशिश की। इसी दौरान उनके प्रतिनिधि फतेह उल्लाह बुर्की बीच में आए, जिसके बाद स्थिति और तनावपूर्ण हो गई। सुरक्षाकर्मियों ने बुर्की को धक्का देकर बाहर निकालने का प्रयास किया। हालांकि, अन्य अधिकारियों के हस्तक्षेप के बाद मामला वहीं थम गया। सरकारी सूत्रों का कहना है कि इस घटना में किसी को शारीरिक चोट नहीं आई।
घटना के बाद मुख्यमंत्री सोहेल अफरीदी ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए इसे लोकतांत्रिक व्यवस्था के खिलाफ बताया। उन्होंने कहा कि किसी निर्वाचित मुख्यमंत्री के साथ इस तरह का व्यवहार लोकतंत्र की भावना को ठेस पहुंचाता है। अफरीदी ने आरोप लगाया कि पंजाब में राजनीतिक विरोधियों को दबाने के लिए सत्ता का दुरुपयोग किया जा रहा है और यह रवैया “मार्शल लॉ जैसी सोच” को दर्शाता है।
यह मामला ऐसे समय सामने आया है, जब पंजाब में मुस्लिम लीग (नवाज) की सरकार है और मरियम नवाज मुख्यमंत्री हैं, जबकि खैबर पख्तूनख्वा में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) की सरकार सत्ता में है। दोनों प्रांतों की सियासी प्रतिद्वंद्विता लंबे समय से चर्चा में रही है। अफरीदी ने दावा किया कि लाहौर सहित पंजाब के कई इलाकों में उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं को रोका जा रहा है, वाहनों की जांच की जा रही है और कुछ को हिरासत में भी लिया गया है।
इस घटना से पहले भी मुख्यमंत्री अफरीदी को पुलिस कार्रवाई का सामना करना पड़ा था। करीब एक महीने पहले, 28 नवंबर को, वे रावलपिंडी की अडियाला जेल में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान से मिलने पहुंचे थे। उस दौरान पुलिस के साथ हुई झड़प में उन्हें जमीन पर गिरा दिया गया था। उस घटना ने भी राष्ट्रीय स्तर पर काफी विवाद खड़ा किया था।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पंजाब विधानसभा की घटना केवल सुरक्षा से जुड़ा मामला नहीं है, बल्कि यह पाकिस्तान में केंद्र और प्रांतों के बीच बढ़ते तनाव की झलक भी देती है। संघीय ढांचे में निर्वाचित प्रतिनिधियों की गरिमा बनाए रखना एक संवेदनशील मुद्दा है, और ऐसी घटनाएं संस्थागत विश्वास को कमजोर कर सकती हैं।
फिलहाल, पंजाब सरकार या विधानसभा प्रशासन की ओर से कोई विस्तृत आधिकारिक बयान नहीं आया है। हालांकि, वीडियो वायरल होने के बाद विपक्षी दलों ने निष्पक्ष जांच की मांग तेज कर दी है। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में यह मामला संसद और न्यायिक मंचों तक भी पहुंच सकता है।
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