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डॉ. सखिया का TEDx विजन: तकनीक आधारित 20,000 AI-डर्मेटो केंद्र से ग्रामीण भारत में त्वचा सेवाओं का विस्तार
Jagran Desk
TEDx टॉक में डॉ. जगदीश सखिया ने AI-सक्षम डर्मेटोलॉजी अवतार, 200+ भारतीय भाषाओं में संवाद करने वाले क्लीनिक और वर्ल्ड-क्लास स्किन ट्रीटमेंट को छोटे शहरों तक पहुंचाने का रोडमैप साझा किया।
देश के जाने-माने डर्मेटोलॉजिस्ट और सखिया स्किन क्लीनिक के संस्थापक डॉ. जगदीश सखिया ने TEDx मंच पर एक दूरदर्शी स्वास्थ्य मॉडल प्रस्तुत किया, जिसमें उन्होंने आने वाले वर्षों में 20,000 AI-सक्षम डर्मेटो क्लीनिक स्थापित करने का लक्ष्य बताया। यह क्लीनिक 200 से अधिक भारतीय भाषाओं में मरीजों से संवाद कर सकेंगे और ग्रामीण व छोटे शहरों में विशेषज्ञ त्वचा सेवाओं की कमी को पूरा करेंगे।
अपने वक्तव्य में डॉ. सखिया ने कहा कि तकनीक का सही इस्तेमाल भारत में त्वचा रोगों के उपचार को नए आयाम दे सकता है। उन्होंने बताया कि देश में वर्तमान में केवल 18,000 त्वचा विशेषज्ञ हैं, जबकि जरूरत इससे कई गुना अधिक है। इसी अंतर को पाटने के लिए वे AI-डर्मेटोलॉजी अवतार और टेली-डर्मेटो सॉल्यूशन जैसी परियोजनाओं पर काम कर रहे हैं।
ग्रामीण पृष्ठभूमि से देश के बड़े डर्मेटोलॉजी नेटवर्क तक का सफर
TEDx वक्तव्य में डॉ. सखिया ने अपने शुरुआती संघर्षों का ज़िक्र करते हुए बताया कि उनका जन्म राजकोट जिले के एक छोटे से गांव में हुआ था, जहां आबादी मात्र एक हजार के करीब थी। आर्थिक सीमाओं के कारण उन्हें सरकारी स्कूल में पढ़ना पड़ा, लेकिन कठिन परिस्थितियों ने उनके संकल्प को और मजबूत किया।
उन्होंने बताया कि 1998 में उन्होंने सिर्फ 600 वर्ग फुट के छोटे से कमरे में अपना पहला क्लीनिक शुरू किया था। आज उनके नेटवर्क में 24 शहरों में 37 से अधिक क्लीनिक शामिल हैं, जो विश्वस्तरीय त्वचाविज्ञान सेवाएं प्रदान कर रहे हैं।
लेज़र ट्रीटमेंट को लेकर भ्रांतियां और उनकी स्वीकार्यता
डॉ. सखिया ने कहा कि जब उन्होंने 1998 में लेज़र उपचार शुरू किया, तब यह माना जाता था कि भारतीय त्वचा पर यह तकनीक प्रभावी नहीं होगी। शुरुआती चुनौतियों के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी। आज उनके केंद्रों पर 150 से अधिक लेज़र तकनीक उपलब्ध हैं।
उन्होंने बताया कि पहले लोग मानते थे कि "त्वचा के मरीज न मरते हैं और न पूरी तरह ठीक होते हैं", लेकिन आज एडवांस्ड लेज़र तकनीकों ने गंभीर और कभी जानलेवा मानी जाने वाली स्थितियों का सफल इलाज संभव कर दिया है।
राज्य और देश में बढ़ती त्वचा विज्ञान चुनौतियां
डॉ. सखिया ने त्वचाविज्ञान के सामने आने वाली वर्तमान चुनौतियों पर भी प्रकाश डाला—
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अयोग्य चिकित्सकों की मौजूदगी
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ऑनलाइन इन्फ्लुएंसर्स पर अत्यधिक निर्भरता
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स्व-चिकित्सा
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विशेषज्ञों की भारी कमी
इन्हीं चुनौतियों ने उन्हें AI आधारित समाधान विकसित करने की प्रेरणा दी है।
डॉ. सखिया का AI-डर्मेटो विजन
उन्होंने कहा कि उनका उद्देश्य "गोरापन" नहीं बल्कि "स्वस्थ त्वचा" का संदेश फैलाना है। TEDx मंच पर उन्होंने भविष्य की अपनी तीन प्रमुख योजनाएं साझा कीं—
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AI-संचालित वर्चुअल डर्मेटोलॉजी अवतार
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20,000 AI-सक्षम क्लीनिक
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200+ भाषाओं में संवाद करने वाली डर्मेटो टेक्नोलॉजी
इन पहलों का उद्देश्य उन क्षेत्रों में विशेषज्ञ सलाह पहुंचाना है, जहां डॉक्टरों की भारी कमी है।
अंत में प्रेरक संदेश
अपने टॉक के समापन पर उन्होंने कहा:
"पहले ये तय कीजिए कि आप कहां जाना चाहते हैं, कैसे पहुंचना है और कब पहुंचना है। बड़े सपने देखिए, क्योंकि जिस क्षण आप डर जाते हैं, आप जीना छोड़ देते हैं।”
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