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महाकाल भस्म आरती: चांदी के मुकुट और त्रिपुंड तिलक से हुआ दिव्य श्रृंगार
Ujjain, MP
उज्जैन स्थित विश्वप्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में गुरुवार, 18 दिसंबर को पौष माह कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर तड़के ब्रह्ममुहूर्त में भगवान महाकालेश्वर के कपाट खोले गए। प्रातः 4 बजे शुरू हुई भस्म आरती विशेष धार्मिक अनुष्ठानों और वैदिक मंत्रोच्चार के साथ संपन्न हुई। इस अवसर पर भगवान महाकाल का अत्यंत भव्य और दिव्य श्रृंगार किया गया, जिसने श्रद्धालुओं को भाव-विभोर कर दिया।
कपाट खुलते ही मंदिर के पुजारियों द्वारा गर्भगृह में विराजित समस्त देवी-देवताओं का विधिवत पूजन किया गया। इसके पश्चात भगवान महाकाल का जलाभिषेक हुआ। फिर दूध, दही, घी, शहद और फलों के रस से बने पंचामृत से अभिषेक कर बाबा का शुद्धिकरण और पूजन किया गया। प्रथम घंटाल बजाकर ‘हरिओम’ के जल से अर्पण किया गया और मंत्रोच्चार के साथ भगवान का ध्यान किया गया।
कपूर आरती के पश्चात ज्योतिर्लिंग को वस्त्र से आच्छादित कर भस्म रमाई गई। इसके बाद भगवान महाकाल को शेषनाग के रजत मुकुट, चांदी की मुंडमाल, त्रिशूल चिह्न, चंद्रमा और त्रिपुंड तिलक से सुशोभित किया गया। रुद्राक्ष की माला और सुगंधित पुष्पों की मालाओं से अलंकरण कर बाबा का भव्य श्रृंगार किया गया, जिससे गर्भगृह में दिव्यता का अद्भुत वातावरण बन गया।
भस्म आरती के दौरान सैकड़ों श्रद्धालुओं ने बाबा महाकाल के दर्शन कर पुण्य लाभ अर्जित किया। भक्तों ने नंदी महाराज के दर्शन कर उनके कान के समीप अपनी मनोकामनाएं कही और बाबा से कृपा की कामना की। पूरे मंदिर परिसर में “जय श्री महाकाल” के जयघोष गूंजते रहे, जिससे वातावरण भक्तिमय हो उठा।
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