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गांव की हवेली से अब भी आती हैं हंसी की आवाजें — आदित्य और प्रिया का रहस्यमयी किस्सा बना लोककथा
Satyakatha
                                                 सालों बाद गांव लौटा युवक रहस्यमय हवेली में गया था दाखिल, फिर कभी बाहर नहीं निकला; ग्रामीणों का दावा—रात में सुनाई देती है एक प्रेमी जोड़े की परछाईं और हंसी की गूंज।
बिहार के एक छोटे कस्बे में स्थित पुरानी हवेली इन दिनों रहस्य और डर दोनों का केंद्र बनी हुई है। यह वही घर है, जिसे सालों पहले आदित्य नामक युवक का परिवार छोड़कर शहर चला गया था। बताया जाता है कि आदित्य वर्षों बाद जब उस पुराने मकान में लौटा, तो वहां उसका सामना एक ऐसे रहस्य से हुआ जिसकी उसने कभी कल्पना भी नहीं की थी। तब से लेकर आज तक उस हवेली से कोई जीवित बाहर नहीं आया।
स्थानीय निवासियों के अनुसार, करीब एक दशक पहले आदित्य अपने पैतृक घर में लौटा था। पुराने मोहल्ले की सुनसान गलियों से गुजरते हुए वह जब अपने बंद पड़े घर में दाखिल हुआ, तो गांव के कुछ लोगों ने उसे देखा था। लेकिन उसके बाद से आदित्य को कभी बाहर आते नहीं देखा गया। आज भी उस घर के बारे में तरह-तरह की कहानियां लोगों के बीच चर्चा में रहती हैं।
कस्बे के बुजुर्गों का कहना है कि आदित्य जब शहर से लौटा था, तब हवेली के भीतर से अजीब-सी आवाजें और हल्की रोशनी दिखती थी। कुछ ग्रामीणों का दावा है कि रात के वक्त वहां से किसी पुरुष और महिला की हंसी की आवाजें सुनाई देती हैं, जो हवेली के बाहर तक गूंजती हैं।
कौन थी प्रिया?
गांव के लोग बताते हैं कि प्रिया आदित्य की बचपन की दोस्त थी, जो उसके पड़ोस में रहती थी। किशोरावस्था तक दोनों की गहरी मित्रता गांव में चर्चा का विषय बन चुकी थी। लेकिन जब आदित्य का परिवार गांव छोड़कर शहर चला गया, तो प्रिया रोज़ उसके बंद घर के सामने घंटों बैठी रहती थी। कुछ वर्षों बाद वह अचानक लापता हो गई। तब से उसका कोई अता-पता नहीं मिला।
इसी वजह से ग्रामीणों का मानना है कि हवेली से सुनाई देने वाली स्त्री की आवाज़ प्रिया की ही है। उनका कहना है कि शायद प्रिया का आत्मा उसी घर में बंधी रह गई और जब आदित्य लौटा तो दोनों की आत्माएँ फिर से एक-दूसरे से मिल गईं।
स्थानीय प्रशासन की प्रतिक्रिया
कस्बे के थानाध्यक्ष ने बताया कि इस हवेली के बारे में कई तरह की अफवाहें हैं, पर कोई ठोस सबूत अब तक नहीं मिला है। कुछ साल पहले पुलिस ने हवेली की तलाशी भी ली थी, लेकिन कोई संदिग्ध वस्तु या व्यक्ति वहां नहीं मिला। अब वह घर पूरी तरह बंद है और सुरक्षा कारणों से वहां प्रवेश निषिद्ध कर दिया गया है।
ग्रामीणों में अब भी डर और जिज्ञासा
हवेली के आसपास के इलाके में आज भी शाम ढलते ही सन्नाटा छा जाता है। लोग उस रास्ते से गुजरने से बचते हैं। लेकिन कई जिज्ञासु युवक इस रहस्य को जानने की कोशिश में रात के वक्त हवेली के पास जाते हैं, हालांकि अब तक कोई अंदर जाने की हिम्मत नहीं जुटा सका।
कुछ ग्रामीणों का मानना है कि यह सब अंधविश्वास है, जबकि बुजुर्गों की पीढ़ी इसे “प्रेम और अधूरे वादे की आत्मिक कहानी” बताती है।
अंत में सवाल वही — क्या यह वही प्रिया है?
आज भी कस्बे में यह सवाल गूंजता है — क्या हवेली से आने वाली वह स्त्री की हंसी वास्तव में प्रिया की है? या यह किसी अधूरी कहानी की गूंज है जो समय के साथ लोककथा बन चुकी है?
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