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कुत्ते के लिए भजन संध्या, आत्मा की शांति के लिए परिवार ने किया बारहवां आयोजन
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गुजरात के बोटाद में घनश्यामभाई दुधरजिया ने अपने कुत्ते मोती की मौत के बाद उसकी आत्मा की शांति के लिए भजन संध्या का आयोजन किया. मोती परिवार का हिस्सा था और उसकी विदाई भावुक रही.
दुनिया का सबसे वफादार जानवर कौन है? जवाब होगा, “कुत्ता” . अब तक आपने इंसानों की तेरहवीं, श्रद्धांजलि सभा और भजन संध्या तो सुनी होगी, लेकिन कभी किसी कुत्ते के लिए भजन संध्या होते देखी है? नहीं ना! पर गुजरात के बोटाद में ऐसा ही कुछ हुआ. घर के कुत्ते की मौत के बाद उसकी आत्मा की शांति के लिए भजन संध्या का आयोजन हुआ और भजन गाये गए.
अंतिम विदाई दी गई
दरअसल, बोटाद के पालीयाद रोड पर सूर्य गार्डन होटल के पीछे रहने वाले घनश्यामभाई दुधरजिया ने एक कुत्ता पाला था. एक साल पहले उस कुत्ते ने एक बच्चे को जन्म दिया जिसका नाम मोती रखा गया. मोती घनश्यामभाई के परिवार का हिस्सा बन गया था. 1 मार्च, 2025 को जब मोती इस दुनिया को छोड़ गया, तो परिवार के सदस्य की तरह ही उसे भारी दिल से अंतिम विदाई दी गई.
मोती की आत्मा की शांति के लिए भजन संध्या का कार्यक्रम
परिवार के सदस्य के निधन के बाद जैसे बारहवां रखा जाता है, वैसे ही मोती के लिए भी बारहवां आयोजन किया गया. मोती की आत्मा की शांति के लिए भजन संध्या का कार्यक्रम रखा गया. कार्यक्रम में उपस्थित परिजनों और मेहमानों ने मोती की दिव्य आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की. भजन कलाकार ने भी पशु प्रेम की सराहना की.
लोकल 18 से बात करते हुए भजन संध्या के लिए आई लोकगायिका चंद्रिका राठौड़ ने कहा, “जब कोई इंसान मरता है तो उसके शोक और आत्मा की शांति के लिए आमतौर पर बारहवें दिन भजन संध्या का आयोजन किया जाता है. लेकिन घनश्यामभाई दुधरजिया के घर में मुझे कुछ अलग ही देखने को मिला. उन्होंने अपने मृत कुत्ते मोती के लिए भजन संध्या का आयोजन किया है. इस संध्या में मुझे आमंत्रित किया गया था.”
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घनश्यामभाई की बेटी प्रियंका को मोती से बहुत लगाव था. बेटी प्रियंका ने कहा, “हमारी मादा कुत्ते ने एक बच्चे को जन्म दिया था. जिसे हमने मोती नाम दिया था. मोती से मुझे बहुत लगाव था. वह मेरे साथ ही रहता था. वह मेरे साथ होता तो कोई मुझे छूने की हिम्मत नहीं कर सकता था, लेकिन बीमारी के कारण उसका निधन हो गया है. जिससे हमें बहुत दुख हुआ है.”