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जांजगीर-चांपा में पेट्रोल पंप से 68 लाख का गबन: मैनेजर ने पिता-भाई संग रची साजिश, रकम जुए-सट्टे में उड़ाई, तीनों गिरफ्तार
Janjgir-Champa, CG
भाजपा नेता के पेट्रोल पंप से नौ महीने तक रकम हड़पता रहा मैनेजर, खातों की जांच में खुली पोल; 40 दिन की खोज के बाद पुलिस ने ट्रेन से दबोचा
जांजगीर-चांपा, छत्तीसगढ़: जिले से एक बड़ा आर्थिक घोटाला सामने आया है, जहां एक पेट्रोल पंप के मैनेजर ने अपने पिता और भाई के साथ मिलकर 68 लाख रुपये का गबन कर डाला। मामला भाजपा नेता और जिला पंचायत उपाध्यक्ष गगन जयपुरिया के पेट्रोल पंप का है। पुलिस ने 40 दिनों की तलाश के बाद तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है।
नौ महीने तक चला गबन का खेल
जानकारी के मुताबिक, आरोपी नीरज कुमार साहू, वर्ष 2022 से पंप पर मैनेजर के रूप में कार्यरत था। अपनी ईमानदारी और कार्यशैली से उसने संचालक का भरोसा जीत लिया था। लेकिन धीरे-धीरे उसने पेट्रोल बिक्री की राशि को बैंक में जमा करने के बजाय अपने पिता और भाई के खातों में ट्रांसफर करना शुरू कर दिया।
यह सिलसिला 26 जनवरी 2024 से 23 सितंबर 2024 तक चला, जिसमें उसने कुल 68 लाख रुपये का गबन कर लिया।
जुए और सट्टे में गंवाए लाखों
पुलिस जांच में खुलासा हुआ है कि आरोपी नीरज ने गबन की गई राशि का बड़ा हिस्सा जुए और सट्टे में खर्च कर दिया। जब पंप संचालक को खातों में अनियमितता का संदेह हुआ, तो वित्तीय रिकॉर्ड खंगाले गए। इसमें करोड़ों के लेनदेन में भारी अंतर मिला, जिसके बाद पूरा मामला उजागर हुआ।
खुलासे के बाद फरार हुआ मैनेजर
घोटाले का पता चलते ही नीरज कुमार साहू काम छोड़कर फरार हो गया। पंप मालिक ने मामले की शिकायत बम्हनीडीह थाने में दर्ज कराई। इसके बाद पुलिस अधीक्षक ने जांच की जिम्मेदारी साइबर सेल को दी। टीम ने तकनीकी विश्लेषण और मोबाइल लोकेशन के आधार पर आरोपियों की गतिविधियों का पता लगाया।
ट्रेन में दबोचा गया आरोपी
लगातार 40 दिनों की खोजबीन के बाद पुलिस ने नीरज को रायपुर और रायगढ़ के बीच चलती ट्रेन से गिरफ्तार किया। पूछताछ में उसने पूरा जुर्म कबूल कर लिया। पुलिस ने आरोपी से 50 हजार रुपये नकद बरामद किए हैं। इसके साथ ही उसके पिता और भाई को भी हिरासत में लेकर न्यायिक रिमांड पर भेज दिया गया है।
गबन का तरीका और पुलिस जांच
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, नीरज ने पेट्रोल बिक्री की राशि नकद लेकर बैंक में जमा करने की जगह डिजिटल ट्रांसफर और ऑनलाइन माध्यम से अपने और परिजनों के खातों में भेजी। जब पंप संचालक ने वित्तीय ऑडिट कराया, तब यह हेराफेरी उजागर हुई।
एसपी कार्यालय से जारी बयान में कहा गया कि “यह मामला आर्थिक अपराध की गंभीर श्रेणी में आता है। आगे की जांच साइबर और वित्तीय ट्रांजेक्शन के ब्योरे के आधार पर की जाएगी।”
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