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श्योपुर में सरकारी स्कूल की शर्मनाक तस्वीर: कागज पर परोसा गया मिड-डे मील, शिक्षक रहे मौन
Sheopur, MP
सरकारी योजनाओं में व्याप्त लापरवाही और भ्रष्टाचार का एक चौंकाने वाला उदाहरण मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले से सामने आया है।
जिले के विजयपुर क्षेत्र स्थित शासकीय मिडिल स्कूल हुल्लपुर में बच्चों को मिड-डे मील थाली या प्लेट में नहीं, बल्कि कागज के टुकड़ों पर परोसा गया। यह दृश्य न केवल शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि सरकारी जवाबदेही पर भी गहरा आघात पहुंचाता है।
क्या है मामला
घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें छोटे-छोटे बच्चे जमीन पर बैठे हुए दिखाई दे रहे हैं। उनके सामने फटे हुए कागज के टुकड़ों पर चावल और सब्जी रखी हुई है। कई बच्चों के हाथ में रोटी है और वे उसी कागज से भोजन कर रहे हैं। यह पूरा घटनाक्रम स्कूल परिसर का है, जहां मिड-डे मील वितरण के दौरान शिक्षक मौजूद थे लेकिन उन्होंने कोई आपत्ति नहीं जताई।
मिड-डे मील योजना का उद्देश्य और हकीकत
भारत सरकार की मिड-डे मील योजना का उद्देश्य बच्चों को पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराना और स्कूल उपस्थिति बढ़ाना है। लेकिन हुल्लपुर स्कूल में जो दृश्य सामने आया, वह इस योजना के उद्देश्य की पूर्ण अवहेलना है। कागज पर भोजन परोसना न केवल अस्वच्छ और अमानवीय है, बल्कि बच्चों के स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक हो सकता है।
वीडियो के वायरल होते ही मचा हड़कंप
जैसे ही यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, शिक्षा विभाग और स्थानीय प्रशासन में हड़कंप मच गया। जिला शिक्षा अधिकारी ने मामले की जांच के आदेश जारी किए हैं। शुरुआती जांच में सामने आया है कि स्कूल में बर्तनों की कमी और भोजन वितरण में लापरवाही के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई।
जिम्मेदारी तय करने की तैयारी
अधिकारियों ने कहा है कि दोषियों की पहचान की जा रही है। जांच रिपोर्ट आने के बाद संबंधित शिक्षकों और भोजन प्रदाता संस्था के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। जिला प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि बच्चों के साथ इस तरह का व्यवहार किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
स्थानीय लोगों में आक्रोश
ग्रामीणों और अभिभावकों ने इसे मानवता के खिलाफ कृत्य बताया है। उन्होंने कहा कि बच्चों को इस तरह अपमानजनक तरीके से भोजन देना शर्मनाक है। लोगों ने मांग की है कि स्कूल प्रशासन और शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों को तुरंत निलंबित किया जाए।
सवालों के घेरे में सरकारी निगरानी तंत्र
यह घटना एक बार फिर यह दर्शाती है कि मिड-डे मील जैसी संवेदनशील योजनाओं की निगरानी और क्रियान्वयन में गंभीर खामियां हैं। शिक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि अगर स्थानीय स्तर पर निगरानी और जवाबदेही सुनिश्चित न की गई तो ऐसे अमानवीय दृश्य बार-बार सामने आते रहेंगे।
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