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कफ सिरप कांड में ED की बड़ी कार्रवाई; ड्रग कंट्रोल अधिकारियों पर छापे, श्रीसन फार्मा मालिक की 2 करोड़ की संपत्ति कुर्क
MP
मध्यप्रदेश में कफ सिरप से 25 से अधिक बच्चों की मौत के बाद जांच तेज; ईडी ने भ्रष्टाचार और मिलावटी दवा निर्माण के आरोपों पर छापेमारी बढ़ाई।
मध्यप्रदेश के बहुचर्चित कफ सिरप कांड में अब प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने औपचारिक रूप से हस्तक्षेप करते हुए जांच का दायरा बढ़ा दिया है। बुधवार को ईडी ने ड्रग कंट्रोल विभाग के अधिकारियों और मिलावटी सिरप निर्माण से जुड़े आरोपितों के ठिकानों पर छापे मारे। इस सिलसिले में चेन्नई स्थित श्रीसन फार्मा के मालिक की लगभग 2 करोड़ रुपये मूल्य की प्रॉपर्टी भी कुर्क कर दी गई है। एजेंसी ने कोडंबक्कम स्थित दो फ्लैटों को अटैच करते हुए कार्रवाई को आगे बढ़ाया।
यह मामला तब सुर्खियों में आया था, जब कोल्ड्रिफ नामक कफ सिरप पीने से मध्यप्रदेश में 25 से ज्यादा बच्चों की मौत हो गई थी। राज्य सरकार की जांच में सिरप के नमूनों में DEG (डाइएथिलीन ग्लाइकोल) और EG (एथिलीन ग्लाइकोल) जैसे जहरीले रसायनों की बेहद ऊंची मात्रा पाई गई—DEG 48.6% और EG 46.28%। दोनों रसायन औद्योगिक उपयोग के लिए होते हैं और मेडिकल ग्रेड में इनकी मात्रा लगभग नगण्य होनी चाहिए।
क्या, कब और क्यों हुआ?
मामला सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग और ड्रग कंट्रोल प्रशासन पर गंभीर सवाल उठे। जांच में यह भी पता चला कि सिरप निर्माण में फार्मा ग्रेड की जगह इंडस्ट्रियल ग्रेड रसायनों का इस्तेमाल किया गया था। आरोपित सप्लायरों ने बिना बिल और नकद भुगतान में कच्चा माल बेचे जाने की बात कबूल की। इसके बाद जिम्मेदार ड्रग अधिकारियों पर लापरवाही और मिलीभगत के आरोप लगने लगे।
इसी पृष्ठभूमि में अब ED की एंट्री हुई है। एजेंसी ने मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार की आशंका को देखते हुए ड्रग कंट्रोल अधिकारियों, सप्लायरों और श्रीसन फार्मा के दफ्तरों पर एक साथ छापेमारी की। सूत्रों के अनुसार, ईडी को कई वित्तीय लेन-देन और संदिग्ध भुगतान से जुड़े दस्तावेज मिले हैं।
कहाँ-कहाँ हुई कार्रवाई?
छापे मुख्य रूप से तमिलनाडु के चेन्नई, मध्यप्रदेश के भोपाल तथा कुछ अन्य जिलों में स्थित परिसरों पर किए गए। ईडी ने जिन दो फ्लैटों को अटैच किया है, वे श्रीसन फार्मा मालिक के नाम पर कोडंबक्कम इलाके में स्थित हैं।
कौन जिम्मेदार?
मामले में तमिलनाडु ड्रग कंट्रोल विभाग पर भी गंभीर लापरवाही के आरोप हैं। कहा जा रहा है कि रसायनों की आपूर्ति और अनुमोदन प्रक्रिया में कई अनियमितताएँ थीं, जिन्हें समय रहते नहीं पकड़ा गया। ईडी भ्रष्टाचार और मिलीभगत के इसी नेटवर्क को खंगाल रही है।
आगे की स्थिति क्या?
एजेंसी की जांच अभी शुरुआती चरण में है, लेकिन अधिकारियों का कहना है कि आने वाले दिनों में और संपत्तियाँ अटैच की जा सकती हैं। आवश्यकता पड़ने पर गिरफ्तारियाँ भी संभव हैं। स्वास्थ्य विभाग और केंद्र सरकार पहले ही इस मामले को राष्ट्रीय स्तर की पब्लिक इंटरेस्ट स्टोरी मानते हुए राज्यों से सख्त गुणवत्ता नियंत्रण सुनिश्चित करने को कह चुकी है।
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