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कूनो नेशनल पार्क में वीरा और उसके 10 महीने के शावक आज आज़ाद; अंतर्राष्ट्रीय चीता दिवस पर CM मोहन यादव की सौगात
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प्रोजेक्ट चीता में नई गति; मादा चीता और शावकों की पहली जंगल यात्रा से संरक्षण प्रयासों और इको-टूरिज्म को बढ़ावा मिलने की उम्मीद
अंतर्राष्ट्रीय चीता दिवस पर मध्य प्रदेश आज एक महत्वपूर्ण संरक्षण पहल का गवाह बना। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव गुरुवार सुबह कूनो नेशनल पार्क पहुंचे, जहाँ उन्होंने मादा चीता वीरा और उसके 10 महीने के दो शावकों को बाड़े से निकालकर खुले जंगल में छोड़ा। यह कदम प्रोजेक्ट चीता के लिए एक नई उपलब्धि मानी जा रही है, क्योंकि पहली बार यह परिवार प्राकृतिक वातावरण में स्वतंत्र रूप से विचरण करेगा।
कार्यक्रम परौंद जंगल क्षेत्र में आयोजित किया गया, जो पार्क का वह हिस्सा है जहाँ पर्यटकों को भी प्रवेश की अनुमति है। वीरा और उसके शावकों को धीरे-धीरे मुख्य वन क्षेत्र में छोड़ा गया। वन विभाग के अनुसार, तीनों चीतों की स्वास्थ्य रिपोर्ट, शिकार क्षमता, मूवमेंट पैटर्न और अनुकूलन व्यवहार पिछले कई सप्ताहों में पूरी तरह संतोषजनक पाए गए, जिसके बाद यह निर्णय लिया गया।
कहाँ और कैसे हुई तैयारियाँ?
सीएम मोहन यादव कूनो के अहेरा गेट पर तैयार किए गए हेलीपैड से पार्क में पहुंचे। उनके साथ वन मंत्री विजय शाह, प्रभारी मंत्री और स्थानीय सांसद भी मौजूद रहे। अधिकारियों ने बुधवार रात तक सुरक्षा और लॉजिस्टिक्स की अंतिम समीक्षा की। टीम ने चीता मूवमेंट ज़ोन, ट्रैकिंग पॉइंट, पर्यटक मार्ग और वन सुरक्षा प्रोटोकॉल का गहन निरीक्षण किया।
पृष्ठभूमि: प्रोजेक्ट चीता की यात्रा
भारत में चीता पुनर्वास की शुरुआत सितंबर 2022 में हुई थी, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नामीबिया से आए 8 चीतों को कूनो में छोड़ा था। इसके बाद दक्षिण अफ्रीका से आए चीतों को भी पार्क में शामिल किया गया।
वर्तमान में कूनो और गांधी सागर अभयारण्य में चीतों की संख्या 32 तक पहुंच गई है। वन विशेषज्ञों का कहना है कि यह संख्या प्राकृतिक प्रजनन और सफल अनुकूलन दोनों का संकेत है, जो प्रोजेक्ट चीता की प्रगति का महत्वपूर्ण सूचक है।
वीरा और शावकों की रिहाई क्यों अहम?
वन्यजीव अधिकारियों के अनुसार, वीरा ने मातृत्व की सभी कसौटियों पर सफलता दिखाई है—चौकन्नापन, शिकार की क्षमता, शावकों की सुरक्षा और उन्हें प्राकृतिक तकनीकें सिखाने में वह उत्कृष्ट रही। शावक भी शिकार का अभ्यास, सतर्कता और दौड़ने की दक्षता में मजबूत पाए गए।
जंगल में छोड़े जाने के बाद तीनों चीतों पर सैटेलाइट कॉलर और ग्राउंड पेट्रोलिंग टीमों के माध्यम से लगातार निगरानी रखी जाएगी।
स्थानीय अर्थव्यवस्था और पर्यटन पर असर
कूनो में चीतों की संख्या बढ़ने के साथ पर्यटकों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। इससे श्योपुर और शिवपुरी जिलों में इको-टूरिज्म, स्थानीय गाइडिंग, होटल कारोबार और वाहन सेवाओं में नए अवसर बन रहे हैं। अधिकारियों का मानना है कि यह कदम क्षेत्रीय विकास में भी योगदान देगा।
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