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दुष्कर्म पीड़िता के साथ थाने में पुलिस ने किया मजाक, हाई कोर्ट ने डीएसपी और थाना प्रभारी पर कार्रवाई के दिए निर्देश
MP ग्वालियर
FIR दर्ज न करने और उपहास के मामले में विवेचना हटाई गई, पीड़िता और परिवार को सुरक्षा का आदेश
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने गिरवाई थाना में दुष्कर्म पीड़िता के साथ पुलिस अधिकारियों द्वारा किए गए उपहास और दुर्व्यवहार को गंभीर मामला मानते हुए कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। अदालत ने संबंधित मामले की विवेचना थाना से हटाकर अन्य अधिकारी से कराने का आदेश दिया है।
पीड़िता ने याचिका में बताया कि 26 अप्रैल 2025 को उसने अपने साथ हुए दुष्कर्म की रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए गिरवाई थाना पहुंची। उस समय थाना प्रभारी सुरेंद्रनाथ यादव और डीएसपी ग्रामीण चंद्रभान सिंह चिड़ार उपस्थित थे। पीड़िता के अनुसार, दोनों अधिकारियों ने उसकी शिकायत का मजाक उड़ाया और उसे लज्जित किया, जबकि FIR दर्ज करने से साफ इनकार कर दिया गया।
पीड़िता और उसके परिवार ने रात लगभग दो बजे तक थाने में बैठकर न्याय की प्रतीक्षा की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद पीड़िता ने वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात कर पूरी घटना बताई। इस पर उच्च अधिकारियों के निर्देशानुसार तीसरे दिन यानी 28 अप्रैल 2025 को FIR दर्ज की गई।
हाई कोर्ट ने कहा कि यदि पुलिस अधिकारी अपने कानूनी दायित्व का पालन नहीं करते, खासकर यौन अपराधों के मामलों में संवेदनशीलता नहीं दिखाते, तो यह संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है। अदालत ने पीड़िता और उसके परिवार को सुरक्षा उपलब्ध कराने का भी आदेश दिया।
वकीलों का कहना है कि यह मामला पुलिस और न्यायिक तंत्र की संवेदनशीलता की परीक्षा है। ऐसे मामलों में अधिकारियों का संवेदनशील और शीघ्र व्यवहार पीड़िता के न्याय पाने में अहम भूमिका निभाता है।
मध्य प्रदेश पुलिस ने पुष्टि की कि FIR दर्ज कर दी गई है और उच्च अधिकारियों के निर्देशानुसार संबंधित थाना प्रभारी और डीएसपी के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि भविष्य में ऐसे मामलों में पीड़िता को पूर्ण सहयोग और सुरक्षा उपलब्ध कराई जाएगी।
