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दिग्विजय सिंह ने पीएम मोदी की तस्वीर साझा की, RSS की संगठनात्मक ताकत की सराहना से सियासी हलचल
नेशनल न्यूज
सोशल मीडिया पोस्ट पर मचा राजनीतिक विमर्श; दिग्विजय बोले—विचारधारा से विरोध बरकरार, प्रशंसा संगठनात्मक क्षमता की
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह की एक सोशल मीडिया पोस्ट ने राजनीतिक हलकों में चर्चा तेज कर दी है। दिग्विजय सिंह ने शुक्रवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक पुरानी तस्वीर साझा करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की संगठनात्मक शक्ति की सराहना की।
दिग्विजय सिंह द्वारा साझा की गई तस्वीर में प्रधानमंत्री मोदी, तत्कालीन वरिष्ठ भाजपा नेता और पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी के चरणों के पास बैठे नजर आ रहे हैं। पोस्ट के साथ दिग्विजय सिंह ने लिखा कि यह चित्र उन्हें एक ऑनलाइन मंच पर मिला और यह दर्शाता है कि कैसे एक जमीनी स्वयंसेवक और जनसंघ का कार्यकर्ता संगठन के बल पर पहले प्रदेश का मुख्यमंत्री और फिर देश का प्रधानमंत्री बना। उन्होंने इसे “संगठन की शक्ति” करार दिया और अंत में “जय सिया राम” लिखा।
इस पोस्ट के सामने आते ही कांग्रेस और भाजपा दोनों खेमों में प्रतिक्रियाएं शुरू हो गईं। कांग्रेस के भीतर जहां कुछ नेताओं ने इसे संगठनात्मक आत्ममंथन से जोड़ा, वहीं भाजपा समर्थकों ने इसे अप्रत्याशित सराहना के रूप में देखा।
बढ़ती प्रतिक्रियाओं के बीच दिग्विजय सिंह ने सफाई देते हुए स्पष्ट किया कि उनकी टिप्पणी को वैचारिक समर्थन के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि वह RSS, प्रधानमंत्री मोदी और उनकी नीतियों के घोर आलोचक रहे हैं और रहेंगे। उनके अनुसार, पोस्ट का उद्देश्य केवल यह रेखांकित करना था कि मजबूत संगठनात्मक ढांचा किस तरह नेतृत्व को शीर्ष तक पहुंचा सकता है।
दिग्विजय सिंह ने यह भी बताया कि उन्होंने यही बात हाल ही में हुई कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) की बैठक में भी कही थी। बैठक के दौरान उन्होंने कांग्रेस संगठन को जमीनी स्तर पर मजबूत करने की जरूरत पर जोर दिया और कहा कि बूथ स्तर तक सक्रियता बढ़ाए बिना राजनीतिक सफलता संभव नहीं है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि दिग्विजय सिंह की यह टिप्पणी ऐसे समय आई है, जब कांग्रेस संगठनात्मक पुनर्गठन और आगामी चुनावों की रणनीति पर मंथन कर रही है। उनके बयान को भाजपा की कार्यशैली से सीख लेने के संकेत के तौर पर भी देखा जा रहा है, न कि विचारधारात्मक सहमति के रूप में।
दिग्विजय सिंह अपने बेबाक और कई बार विवादित बयानों के लिए जाने जाते हैं। इससे पहले भी वह RSS, प्रधानमंत्री मोदी और अन्य राष्ट्रीय मुद्दों पर तीखे बयान देते रहे हैं। ऐसे में उनकी यह पोस्ट राजनीतिक संवाद में एक अलग ही कोण जोड़ती नजर आ रही है।
फिलहाल, यह पोस्ट सोशल मीडिया पर व्यापक बहस का विषय बनी हुई है और आने वाले दिनों में इस पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं और तेज होने की संभावना जताई जा रही है।
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