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चित्रगुप्त-यमराज पर विवादित टिप्पणी पर माफी: पं. प्रदीप मिश्रा ने कहा- किसी समाज को ठेस पहुंची हो तो क्षमा चाहता हूं
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प्रसिद्ध कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा एक बार फिर अपने विवादित बयान को लेकर चर्चा में आ गए हैं। महाराष्ट्र के बीड़ में शिवपुराण कथा के दौरान भगवान चित्रगुप्त और यमराज पर की गई टिप्पणी को लेकर कायस्थ समाज ने तीखी आपत्ति जताई। मामले ने इतना तूल पकड़ा कि अंततः मिश्रा को सीहोर में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी पड़ी।
क्या था विवाद?
14 जून को बीड़ (महाराष्ट्र) में शिवपुराण कथा के दौरान मिश्रा ने अपने प्रवचन में कहा—
"यमराज, तू मुझे पहचानता नहीं है। तेरे साथ तो नहीं जाऊंगा।"
"ए चित्रगुप्त, फालतू की बात मत करना। सबका हिसाब रखना, मेरा मत रखना।"
इस वीडियो के वायरल होते ही देशभर में कायस्थ समाज ने इसे अपने आराध्य देवों का अपमान बताया और विरोध दर्ज कराना शुरू किया।
कायस्थ समाज का आक्रोश, कानूनी कार्रवाई की चेतावनी
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विदिशा, उज्जैन और अन्य स्थानों पर समाज के लोगों ने प्रशासन को राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा।
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समाज ने 10 दिन के भीतर सार्वजनिक माफी की मांग की और कहा यदि ऐसा नहीं हुआ तो प्रदेशव्यापी आंदोलन होगा।
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चित्रगुप्त पीठ के पीठाधीश्वर डॉ. स्वामी सच्चिदानंद ने तीखा बयान देते हुए कहा:
"यदि माफी नहीं मांगी गई तो कानूनी कार्रवाई करूंगा और अपने जूते तेरे बचे हुए बालों से साफ करूंगा।"
सीहोर में मांगी सार्वजनिक माफी
बढ़ते विरोध को देखते हुए पंडित मिश्रा ने मंगलवार को सीहोर में प्रेसवार्ता कर सफाई दी और कहा:
"हमारी बात किसी समाज या व्यक्ति विशेष के लिए नहीं थी। शिवमहापुराण के प्रसंग में यमराज, चित्रगुप्त और शिव भक्ति का प्रसंग चल रहा था। यदि किसी को हमारी वाणी से ठेस पहुंची हो तो मैं क्षमा चाहता हूं।"
पहले भी विवादों में आ चुके हैं पं. मिश्रा
यह कोई पहला मौका नहीं है जब पंडित मिश्रा को माफी मांगनी पड़ी हो। ओंकारेश्वर में कथा के दौरान राधा रानी को लेकर दिए बयान पर भी भारी विरोध हुआ था। उस समय भी उन्होंने कहा था कि राधा जी का विवाह हुआ था और वे बरसाना की नहीं, रावल गांव की थीं। इस बयान पर ब्रजधाम के संतों और भक्तों ने नाराजगी जताई थी।
प्रेमानंद महाराज ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा था:
"राधा रानी के बारे में तुम्हें पता ही क्या है? संतों के चरणों की रज पान किए बिना ऐसी बातें करना अनुचित है।"