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महंगाई से राहत: 14 महीने के निचले स्तर पर पहुंची थोक महंगाई, खाने-पीने की चीजें सस्ती हुईं
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महंगाई से जूझ रही आम जनता के लिए राहत भरी खबर सामने आई है। देश में थोक मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर मई 2025 में घटकर 0.39 प्रतिशत पर आ गई है, जो पिछले 14 महीनों में सबसे निचला स्तर है। इससे पहले अप्रैल में यह दर 0.85 प्रतिशत दर्ज की गई थी। खाने-पीने के सामानों और ईंधन की कीमतों में आई गिरावट को इस कमी का मुख्य कारण माना जा रहा है।
खाद्य वस्तुओं में गिरावट, ईंधन में भी राहत
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, फूड इंडेक्स आधारित थोक महंगाई दर 2.55% से घटकर 1.72% पर आ गई है। वहीं ईंधन और ऊर्जा समूह की महंगाई दर माइनस 2.18% से घटकर माइनस 2.27% हो गई है। मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स की महंगाई दर भी 2.62% से घटकर 2.04% दर्ज की गई है। इन सभी घटकों की कीमतों में कमी का सीधा लाभ आम उपभोक्ताओं को मिल रहा है।
थोक महंगाई में गिरावट का सिलसिला जारी
मार्च 2024 में थोक महंगाई 0.26 प्रतिशत रही थी। अप्रैल 2025 में यह बढ़कर 0.85 प्रतिशत हुई, लेकिन मई में फिर गिरावट दर्ज की गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में नरमी और घरेलू उत्पादन में स्थिरता से यह गिरावट संभव हो सकी है।
रिटेल महंगाई भी 6 साल के न्यूनतम स्तर पर
थोक महंगाई से पहले जारी हुए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित आंकड़ों के अनुसार, मई 2025 में रिटेल महंगाई दर घटकर 2.82% पर पहुंच गई है, जो मार्च 2019 के बाद सबसे निचला स्तर है। अप्रैल में यह दर 3.16% और मार्च में 3.34% रही थी। यह लगातार तीसरा महीना है जब रिटेल महंगाई दर भारतीय रिजर्व बैंक के निर्धारित 4% के लक्ष्य से नीचे बनी हुई है।
कैसे तय होती है महंगाई?
थोक महंगाई दर (WPI) मापने के लिए तीन प्रमुख घटकों को आधार बनाया जाता है: मैन्युफैक्चर्ड उत्पाद (63.75%), प्राथमिक वस्तुएं जैसे खाद्य पदार्थ (22.62%), और ईंधन व ऊर्जा (13.15%)। वहीं रिटेल महंगाई (CPI) में खाद्य वस्तुओं की हिस्सेदारी 45.86%, आवास की 10.07% और अन्य सेवाओं की महत्वपूर्ण भागीदारी होती है।
नीति निर्धारकों के लिए संकेत
महंगाई दर में इस गिरावट को रिजर्व बैंक और नीति निर्माताओं के लिए भी एक सकारात्मक संकेत माना जा रहा है। इससे नीतिगत ब्याज दरों को स्थिर रखने या कम करने की संभावना बन सकती है, जिससे आर्थिक गतिविधियों को और गति मिलेगी।