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पूर्व विधायक शिवशंकर समाधिया का निधन: राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई, पुत्र ने दी मुखाग्नि
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भिंड जिले के वरिष्ठ राजनेता और अटेर विधानसभा से पूर्व विधायक शिवशंकर समाधिया का सोमवार रात निधन हो गया। वे लंबे समय से अस्वस्थ चल रहे थे। मंगलवार को उनके पैतृक गांव खेरा में उनका अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया गया। पुत्र आशीष समाधिया ने उन्हें मुखाग्नि दी।
पुलिस बल ने गार्ड ऑफ ऑनर देकर उन्हें अंतिम श्रद्धांजलि अर्पित की। समाधिया जी के निधन से पूरे जिले और राजनीतिक क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई है।
राजनीतिक सफर: आपातकाल से विधायक पद तक
शिवशंकर समाधिया राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और हिंदूवादी विचारधारा से जुड़े हुए थे। आपातकाल के समय वे मीसा बंदी के तहत जेल गए थे।
1977 में जनसंघ के टिकट पर अटेर विधानसभा से चुनाव जीतकर विधायक बने।
वे तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरेंद्र सखलेचा की सरकार में शामिल थे और उन्होंने अपने कार्यकाल में कई जनकल्याणकारी योजनाएं शुरू कीं।
विकास कार्यों की अमिट छाप
अपने लगभग ढाई साल के कार्यकाल में समाधिया ने अंचल के विकास के लिए कई अहम कार्य कराए।
उनकी प्रमुख उपलब्धियों में शामिल हैं:
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चंबल और क्वारी नदी पर पुल निर्माण
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कनेरा सिंचाई परियोजना
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फूप कृषि मंडी की स्थापना
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नगर परिषद का गठन
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शिक्षा और स्वास्थ्य संस्थानों की शुरुआत
इन कार्यों ने अटेर क्षेत्र की बुनियादी सुविधाओं को मजबूत किया और जनता के बीच उनकी एक ईमानदार जनप्रतिनिधि की छवि बनी।
राजनीतिक विरासत: तीसरी पीढ़ी तक फैला योगदान
समाधिया जी की राजनीतिक विरासत तीन पीढ़ियों तक फैली हुई है। उनके पुत्र आशीष समाधिया ने बताया कि उनके पिता ने राजनीति की शिक्षा अपने दादा बाबूराम समाधिया से ली थी, जो 1952 में देश के पहले विधानसभा चुनाव में विधायक चुने गए थे।
क्षेत्र और संगठन में शोक की लहर
पूर्व विधायक के निधन से भाजपा, संघ और सामाजिक संगठनों में गहरा शोक है।
भिंड, अटेर और आसपास के क्षेत्र से बड़ी संख्या में लोग अंतिम संस्कार में शामिल हुए और नम आंखों से उन्हें विदाई दी।