भारत का हेल्थकेयर सेक्टर बना आर्थिक इंजन, कोविड के बाद तेज़ हुई तरक्की की रफ्तार

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कोविड-19 महामारी ने भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र की संरचना को जहां झकझोरा, वहीं इससे उबरने की प्रक्रिया ने इस सेक्टर को नई ऊंचाई की ओर भी अग्रसर किया।

भारत का हेल्थकेयर सेक्टर अब केवल चिकित्सा सुविधाओं तक सीमित नहीं रहा। यह देश की अर्थव्यवस्था का एक विशाल और गतिशील क्षेत्र बन चुका है, जिसमें कोविड-19 महामारी के बाद से तेज़ी से परिवर्तन देखने को मिला है। आंकड़े बताते हैं कि आने वाले वर्षों में यह सेक्टर न केवल आर्थिक दृष्टि से और बड़ा होगा, बल्कि वैश्विक स्तर पर भारत की स्वास्थ्य सेवा क्षमताओं को भी नई पहचान देगा।


372 अरब डॉलर से 638 अरब डॉलर की ओर

वर्ष 2022 में भारत का हेल्थकेयर सेक्टर लगभग 372 बिलियन डॉलर का था, जबकि 2024 में इसका आकार 400 अरब डॉलर से भी अधिक आँका गया। अनुमान है कि 2025 तक यह आंकड़ा 638 बिलियन डॉलर को पार कर जाएगा।
यह वृद्धि सालाना औसतन 20% से अधिक की दर से हो रही है, जो न केवल इस क्षेत्र की मांग को दर्शाता है, बल्कि यह भी संकेत देता है कि भारत अब स्वास्थ्य क्षेत्र को महज सेवा नहीं, बल्कि रणनीतिक निवेश के रूप में देख रहा है।


कोविड ने बदली दिशा, बढ़ी प्राथमिकता

कोविड-19 महामारी ने देश के हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमजोरियों को उजागर किया, लेकिन इसी संकट ने सरकार, उद्योग और आमजन को स्वास्थ्य सेवाओं की प्राथमिकता को नए नजरिए से देखने को मजबूर किया।

  • सरकार ने स्वास्थ्य बजट में वृद्धि, ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में पीएचसी और सीएचसी नेटवर्क को मजबूत करने और टेलीमेडिसिन जैसी डिजिटल स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ावा देने की दिशा में ठोस कदम उठाए।

  • आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (ABDM) जैसे प्रोजेक्ट्स के ज़रिए डिजिटल हेल्थ रिकॉर्ड्स को तेजी से लागू किया जा रहा है।

  • प्राइवेट सेक्टर में भी ई-फार्मेसी, हेल्थ-टेक स्टार्टअप्स और मोबाइल क्लिनिक मॉडल को तेजी से अपनाया गया है।


मेडिकल टूरिज्म: दुनिया भर से मरीज भारत की ओर

भारत का मेडिकल टूरिज्म सेक्टर अब वैश्विक चिकित्सा मानचित्र पर अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज करा चुका है। 2023 में 6.34 लाख से अधिक विदेशी नागरिक इलाज के लिए भारत आए। ये संख्या हमारे कुल अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों का लगभग 6.87% थी।

  • 2024 में भारत का मेडिकल टूरिज्म मार्केट 7.69 बिलियन डॉलर का आँका गया।

  • अनुमान है कि यह 2029 तक 14.31 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगा।

कम लागत, उच्च गुणवत्ता वाली चिकित्सा सेवाएं, अंग्रेजी बोलने वाला चिकित्सा स्टाफ, आयुर्वेदिक और एलोपैथी का समावेश, और उच्च स्तर के सुपरस्पेशियलिटी अस्पताल भारत को मेडिकल टूरिज्म का हब बना रहे हैं।


अब भी मौजूद हैं बड़ी चुनौतियां

हालांकि भारत का हेल्थ सेक्टर तेज़ी से आगे बढ़ रहा है, लेकिन कुछ बुनियादी समस्याएं अभी भी चुनौती बनी हुई हैं:

  • सरकारी स्वास्थ्य खर्च अभी भी GDP का 2.1% के आसपास है, जो वैश्विक औसत से काफी कम है।

  • ग्रामीण भारत में डॉक्टरों की अनुपलब्धता, अस्पतालों की कमी और टियर-2 व टियर-3 शहरों में इन्फ्रास्ट्रक्चर की खामियां गंभीर चिंता का विषय हैं।

  • स्वास्थ्य बीमा की पहुंच अब भी सीमित है, जिससे अधिकांश नागरिक आउट-ऑफ-पॉकेट खर्च के तहत इलाज कराते हैं।


भविष्य की दिशा: डिजिटल हेल्थ और यूनिवर्सल कवरेज

आने वाले वर्षों में भारत में स्वास्थ्य सेवाओं की दिशा तय करने वाले कुछ प्रमुख पहलू होंगे:

  • AI आधारित डायग्नोस्टिक्स, रोबोटिक सर्जरी, और 5G-सक्षम रिमोट ट्रीटमेंट तेजी से लोकप्रिय होंगे।

  • जन औषधि केंद्रों के माध्यम से सस्ती दवाओं की उपलब्धता बढ़ेगी।

  • सरकार 2027 तक यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज की दिशा में प्रयासरत है।


 हेल्थ सेक्टर बना नई आर्थिक रीढ़

भारत का हेल्थकेयर सेक्टर अब केवल इलाज का जरिया नहीं, बल्कि रोजगार, नवाचार, निर्यात और मानव विकास का प्रमुख आधार बन चुका है। कोविड के झटके ने जिस तरह से इस सेक्टर को नई चेतना दी है, उससे यह कहना गलत नहीं होगा कि भविष्य का भारत "स्वस्थ भारत" की अवधारणा को जमीन पर उतारने की ओर अग्रसर है।

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